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कन्नौज में शिवपाल यादव से समर्थकों ने काटी कन्नी

locationकन्नौजPublished: Jan 24, 2018 01:06:13 pm

कन्नौज में समाजवादी पार्टी में अब लगता है पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव का कद घट गया है।

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Shivpal Yadav

कन्नौज. कन्नौज में समाजवादी पार्टी में अब लगता है पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव का कद घट गया है। इसकी बानगी हाल के दिनों में देखने को मिली। पार्टी के जिला कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रमों में अब अपने प्यारे चाचा के लिए चहलकदमी करने वाले कार्यकर्ता नजर नहीं आते हैं। इसके पहले जब समाजवादी पार्टी में उनका रूतवा था तब पार्टी कार्यालय पर हर साल बड़ी धूमधाम के साथ उनका जन्मदिन मनाया जाता था। यही नहीं हर कार्यक्रम में उनके फोटो भी रखे जाते थे लेकिन अब जब वह हाशिये पर चल रहे हैं तब यहां भी उनका नाम लेवा कार्यकर्ता न के बराबर ही हैं। दरअसल, समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एवं पूर्व केबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव पिछले जनवरी 2017 से सपा में हाशिए पर चल रहे हैं। उन्हें एक साल से सपा में अपनों के बीच बेगानों की तरह से रहना पड़ रहा है। सपा की नीति नियंता समिति में उनके लिए कोई स्थान नहीं रखा गया है। सपा के सर्वेसर्वा अब पूर्व सीएम अखिलेश यादव हैं।


…तो अब हासिए पर
कभी प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे का बड़ा नाम “शिवपाल सिंह यादव”। पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच चाचा के नाम से पुकारे जाने वाले शिवपाल का जन्म बसंत पंचमी के दिन 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। वैसे तो वर्तमान राजनीति में शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी में हासिए पर चल रहे हैं लेकिन लोगों का कहना है कि शिवपाल अपने बड़े भाई मुलायम के बेहद करीब हैं ? वो नेता जी के आदेश के बिना कोई कार्य नहीं करते हैं। समाजवादी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता कहते हैं कि पार्टी को खड़ा करने में मुलायम सिंह यादव के बाद अगर किसी का नाम आता है तो शिवपाल सिंह यादव का।


जिले में सक्रियता घटी
शिवपाल सिंह 1988 से 1991 और पुन: 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के तक वे उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष भी रहे। 13वीं विधानसभा का चुनाव शिवपाल के जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा। इसमें चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये। इन सबके बीच वह जिले की राजनीति में भी सक्रिय रहते थे।


जिले से गायब पोस्टर
समाजवादी पार्टी में मची कलह के बाद शिवपाल ने कई बार अपने तेज तर्रार रूप और तेवर दिखाए पर इसे बड़े भाई का प्रेम कहें या बेबसी शिवपाल अपना फैसला नहीं ले पाए। अब ये आने वाला समय ही बताएगा कि शिवपाल कौन सा रुख अख्तियार करते हैं। वैसे शिवपाल के जन्मदिन के पोस्टरों से परिवार के नेताओं का गायब होना बहुत कुछ कह रहा है।

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