कन्नौज

आप भी जानकर रह जायेंगे हैरान खनन माफियाओं के इस तरीके को

कन्नौज जिले में अवैध खनन तमाम प्रयास करने के बावजूद भी यह रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

कन्नौजOct 06, 2017 / 11:02 pm

Abhishek Gupta

Kannauj Mining Mafia

कन्नौज. कन्नौज जिले में अवैध खनन तमाम प्रयास करने के बावजूद भी यह रुकने का नाम नहीं ले रहा है। खनन माफिया निजी फायदे के लिए अब रात के अंधेरे में गंगा, काली समेत अन्य नदियों का सीना चीर रहे हैं। पूरा खेल रात 12 से तड़के ढाई बजे तक होता है। सूरज निकलने तक बालू व मिट्टी अलग जगहों पर डंप कर ली जाती है। अफसर इस मामले में जानकर अनजान बने हैं। मिलीभगत से हर दिन लाखों रुपये के वारे-न्यारे हो रहे हैं जबकि जिले में अभी तक कोई भी टेंडर बालू खनन के लिए नहीं दिया गया है।
खनन माफियाओं ने अब फर्जी तरीके से खनन का व्यापार चालू कर दिया। इस अवैध व्यापार को करने के लिए इन माफियाओं ने जिलाधिकारी व खनन अधिकारी की फर्जी मोहर तक बनवा ली। जिसके सहारे यह कालाबाजारी करते रहे लेकिन खुद खनन अधिकारी ने जब इस मामले का पर्दाफाश करते हुए पुलिस को सूचना दी तो पुलिस ने रंगेहांथो पाॅच लोगों को फर्जी मोहर सहित गिरफ्तार कर लिया है।
सदर कोतवाली क्षेत्र अन्तर्गत पुलिस लाइन के पीछे अबैध तरीके से मिट्टी खनन का कारोबार कर रहे खनन माफियाओं ने खनन अधिकारी और कार्यालय जिलाधिकारी की दो अलग-अलग फर्जी मोहर बनवाकर अबैध मिट्टी खनन का ब्यापार कर जिला प्रशासन को गुमराह करते रहे। यह खनन माफिया इतने शातिर किस्म के थे कि जब यह पकड़े जाते थे तो पुलिस को इसी फर्जी मोहरों के जरिये परमीशन लेटर बनाकर दिखा देते थे ताकि पुलिस प्रशासन की निगाह में यह खनन वैध समझा जाये।
लेकिन जब इसकी जाॅच खनन निरीक्षक मो0 एजाज की तो इस बात खुलासा हुआ कि यह लोग दो फर्जी मोहर बनवाकर उसके जरिये खनन का अबैध व्यापार करते थे। पुलिस ने पाॅच लोगों को फर्जी मोहरों सहित गिरफ्तार किया है। जिनके पास से एक जिलाधिकारी कार्यालय की तो दूसरी खनन निरीक्षक की फर्जी मोहर मिली है। पकड़े गये आरोपियों ने खुद अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा कि वह खनन का कारोबार करते थे लेकिन अपने को बचाते हुए कहा कि यह मोहर खुद खनन विभाग ने उनको बनवाने के लिए कहा है।
गाड़ी की लाइट बंद कर करते काम

रात के अंधेरे में सबकी निगाह बचाने के लिए खनन माफिया जेसीबी व ट्रैक्टर की लाइट बंद करवा देते हैं। इससे पुल या सड़क से गुजरने वाले लोगों को अवैध खनन की जानकारी नहीं हो पाती है। काम होने के बाद वह अपने क्षेत्रों में आकर बालू के दाम तय करते हैं।
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