कानपुर

महीने में २० हजार कमाने वाले भी विदेशों में उड़ाते रहे मौज, जारी किए गए नोटिस

आयकर विभाग ने पूछा, विदेशों में खर्च के लिए कहां से आए पैसे टैक्स से बचने के लिए रिटर्न में कम आय दिखाना पड़ गया भारी

कानपुरJan 08, 2020 / 02:09 pm

आलोक पाण्डेय

महीने में २० हजार कमाने वाले भी विदेशों में उड़ाते रहे मौज, जारी किए गए नोटिस

कानपुर। खुद को गरीब बताकर पैसे खर्च करने वालों की अब खैर नहीं। आयकर विभाग ने ऐसे लोगों पर शिकंजा और कस दिया है। शहर में १२ हजार से ज्यादा लोगों ने टैक्स से बचने के लिए आयकर रिटर्न में अपनी आय महज २० से २५ हजार रुपए महीना ही दिखाई और साल में दो से तीन बार विदेश भी घूम आए, इतना ही नहीं विदेशों में उन्होंने लाखों रुपए भी उड़ाए। अब समझ में नहीं आ रहा है कि २०-२५ हजार में परिवार का खर्चा चलाना भी मुश्किल है तो भी कोई विदेश यात्रा कैसे कर सकता है। इसे लेकर आयकर विभाग के सवालों का पहाड़ इन लोगों के सामने मुसीबत बनकर खड़ा है।
पासपोर्ट नंबर देना हुआ अनिवार्य
आयकर विभाग ने अब आईटीआर में पासपोर्ट नंबर देना अनिवार्य कर दिया है। इसी के चलते शहर के ऐसे हजारों लोग पकड़ में आए, जिन्होंने सरकार के सामने खुद को गरीब बताकर टैक्स बचाया। आईटीआर में इन्होंने अपनी सालाना आमदनी महज ढाई लाख रुपए बताई, इसलिए ये लोग टैक्स देने से तो बच गए, लेकिन विदेश जाकर वहां लाखों रुपए खर्च करना इनके लिए भारी पड़ गया। २०१७-१८ और २०१८-१९ में १२५०० लोगों ने सिंगापुर, थाईलैंड, दुबई और मालदीव की यात्राएं की। मगर ऑनरिकार्ड उनकी आमदनी इतनी नहीं थी कि एक बार भी वह विदेश जा सकें।
आईटीआर भरने वाले बढ़े
नोटबंदी के बाद जैसे-जैसे डिजिटल लेन-देन बढ़ा तो लोगों ने आईटीआर भरना भी शुरू कर दिया। मगर आईटीआर में आमदनी छिपाने की आदत नहीं गई। लोगों ने आईटीआर में ज्यादा से ज्यादा सिर्फ उतनी आमदनी ही दिखाई, जितने पर टैक्स की छूट रहती है। मगर इन लोगों ने अपनी विदेश यात्रा का आईटीआर में कोई जिक्र नहीं किया। पर पासपोर्ट नंबर से उनकी पोल खुल गई और उनके द्वारा विदेशों में खर्च की गई रकम की भी सारी जानकारी सामने आ गई।
ऑटोमेटिक रूट से पकड़ी गई चोरी
विदेश यात्रा करने वालों की पोल विदेशों के ऑटोमेटिक रूट ने खोलकर रख दी है। ७० देशों के ऑटोमेटिक रूट से यह पता चल गया कि किस देश के किस व्यक्ति ने कहां-कहां यात्रा की और इस दौरान उसने कहां-कहां कितने रुपए खर्च किए। इससे उनके द्वारा आईटीआर में दर्ज किए गए झूठ की जानकारी आयकर विभाग को हो गई।
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