जाम लगाने के आरोप में हुआ मुकदमा
राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठनों के लिए मांगों को लेकर जाम लगाना आम है, पर उस समय जाम लगाना इन शिक्षकों पर भारी पड़ गया। बात १९९८ में ३० जुलाई की है, जब पांचवे वेतनमान को लेकर पूरे प्रदेश में शिक्षक आंदोलन पर थे। तब कानपुर में भी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों ने आंदोलन किया था। इनमें से १४ शिक्षकों पर यह आरोप लगा कि उन्होंने चौराहे पर जाम लगाया। इस आरोप में इनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठनों के लिए मांगों को लेकर जाम लगाना आम है, पर उस समय जाम लगाना इन शिक्षकों पर भारी पड़ गया। बात १९९८ में ३० जुलाई की है, जब पांचवे वेतनमान को लेकर पूरे प्रदेश में शिक्षक आंदोलन पर थे। तब कानपुर में भी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षकों ने आंदोलन किया था। इनमें से १४ शिक्षकों पर यह आरोप लगा कि उन्होंने चौराहे पर जाम लगाया। इस आरोप में इनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
कानपुर में मामला खिंचा इतना लंबा
शिक्षकों के आंदोलन पूरे प्रदेश में हुए थे। आंदोलन के दौरान जाम लगाने जैसी घटनाएं पूरे प्रदेश में हुई थीं लेकिन जब समझौता हुआ तो मुकदमे वापस ले लिए गए पर कानपुर का मुकदमा चलता रहा। राज्यपाल ने इस प्रकरण में मार्च 2019 में मुकदमा वापसी की अनुमति दी थी। महासंघ के संयोजक और तब शर्मा गुट के अध्यक्ष रमाशंकर तिवारी ने बताया कि तब (30 जुलाई 1998) पुलिस ने लाठी चार्ज किया था और सभी 14 को गिरफ्तार कर लिया था। इन आरोपियों में सुरेंद्र कुमार शुक्ला का निधन हो चुका है। एक कैंसर से पीडि़त हैं। हेमराज सिंह गौर को छोड़ शेष सभी रिटायर हो चुके हैं।
शिक्षकों के आंदोलन पूरे प्रदेश में हुए थे। आंदोलन के दौरान जाम लगाने जैसी घटनाएं पूरे प्रदेश में हुई थीं लेकिन जब समझौता हुआ तो मुकदमे वापस ले लिए गए पर कानपुर का मुकदमा चलता रहा। राज्यपाल ने इस प्रकरण में मार्च 2019 में मुकदमा वापसी की अनुमति दी थी। महासंघ के संयोजक और तब शर्मा गुट के अध्यक्ष रमाशंकर तिवारी ने बताया कि तब (30 जुलाई 1998) पुलिस ने लाठी चार्ज किया था और सभी 14 को गिरफ्तार कर लिया था। इन आरोपियों में सुरेंद्र कुमार शुक्ला का निधन हो चुका है। एक कैंसर से पीडि़त हैं। हेमराज सिंह गौर को छोड़ शेष सभी रिटायर हो चुके हैं।
बलवा और क्रिमिनल एक्ट लगाया गया
शिक्षकों ने जो किया उसके लिए उनके खिलाफ धारा ३४१ लगाई गई, जो कि जाम लगाने के मामले में लगाई जाती है, लेकिन इन शिक्षकों के खिलाफ बलवा और क्रिमिनल एक्ट की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके चलते शिक्षकों को इतना लंबा समय लग गया। बाद में रमा शंकर तिवारी, हरीश चंद्र दीक्षित, हेमराज सिंह गौर, विजय सिंह यादव, प्रकाश चंद्र दीक्षित, छत्रपाल कनौजिया, एसडी मिश्रा, हरी बाबू मिश्रा, ओम नारायण अवस्थी, रामकरन तिवारी, कृपा शंकर शुक्ला, राम कुमार शुक्ला और सुरेंद्र कुमार शुक्ला को मुकदमा संख्या 376/1998, अन्तर्गत धारा 147, 341 (भा.द.सं.) एवं 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंंट एक्ट से दोषमुक्त किया गया।
शिक्षकों ने जो किया उसके लिए उनके खिलाफ धारा ३४१ लगाई गई, जो कि जाम लगाने के मामले में लगाई जाती है, लेकिन इन शिक्षकों के खिलाफ बलवा और क्रिमिनल एक्ट की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके चलते शिक्षकों को इतना लंबा समय लग गया। बाद में रमा शंकर तिवारी, हरीश चंद्र दीक्षित, हेमराज सिंह गौर, विजय सिंह यादव, प्रकाश चंद्र दीक्षित, छत्रपाल कनौजिया, एसडी मिश्रा, हरी बाबू मिश्रा, ओम नारायण अवस्थी, रामकरन तिवारी, कृपा शंकर शुक्ला, राम कुमार शुक्ला और सुरेंद्र कुमार शुक्ला को मुकदमा संख्या 376/1998, अन्तर्गत धारा 147, 341 (भा.द.सं.) एवं 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंंट एक्ट से दोषमुक्त किया गया।
अफसोस कि इतना समय लगा
इस मामले पर वरिष्ठ शिक्षक नेता रमाशंकर तिवारी ने कहा कि अधिक उम्र के बावजूद सभी शिक्षकों को पिछले 21 साल से हाजिर होना पड़ रहा था। दोषमुक्त ठहराए जाने से राहत मिली है। पैरवी करने में पांडेय गुट (बाबा) के महामंत्री हरिश्चंद्र दीक्षित और ओमनारायण अवस्थी की खास भूमिका रही। हरिश्चंद्र दीक्षित ने बताया कि प्रदेश से 1998 में ही मुकदमें वापस हो गए थे लेकिन केवल कानपुर के शिक्षक अदालत के चक्कर काट रहे थे।
इस मामले पर वरिष्ठ शिक्षक नेता रमाशंकर तिवारी ने कहा कि अधिक उम्र के बावजूद सभी शिक्षकों को पिछले 21 साल से हाजिर होना पड़ रहा था। दोषमुक्त ठहराए जाने से राहत मिली है। पैरवी करने में पांडेय गुट (बाबा) के महामंत्री हरिश्चंद्र दीक्षित और ओमनारायण अवस्थी की खास भूमिका रही। हरिश्चंद्र दीक्षित ने बताया कि प्रदेश से 1998 में ही मुकदमें वापस हो गए थे लेकिन केवल कानपुर के शिक्षक अदालत के चक्कर काट रहे थे।