scriptकारीगर का कमाल, मैथा तहसील से गायब हुईं 200 फाइल | 200 files of Maitha Tehsil of Kanpur were found in one house | Patrika News

कारीगर का कमाल, मैथा तहसील से गायब हुईं 200 फाइल

locationकानपुरPublished: May 07, 2020 02:43:33 pm

घर उठा लाया था जरूरी दस्तावेज, अधिकारियों के पसीने छूटे

कारीगर का कमाल, मैथा तहसील से गायब हुईं 200 फाइल

कारीगर का कमाल, मैथा तहसील से गायब हुईं 200 फाइल

कानपुर। जिले की मैथा तहसील में कारीगर ने बड़े-बड़े बाबुओं को फेल कर दिया। उसने तहसील दफ्तर में इस कदर अपना सिक्का जमा रखा था कि उसके आगे किसी की नहीं चलती थी। उसकी पहुंच तहसील की गोपनीय फाइलों तक थी। जिन फाइलों के बारे में तहसील के दूसरे कर्मचारी जान भी नहीं पाते थे उन फाइलों को वह जब मान चाहे तब जहां चाहे वहां ले जाता था। एक शिकायत के बाद जब उस कारीगर के घर पर छापा मारा गया तो उसके घर से तहसील की २०० फाइलें बरामद हुईं। ये फाइलें उसके घर तक कैसे पहुंची इस बारे में तहसील का कोई भी जिम्मेदार जवाब नहीं दे पाया।
कमिश्रर के आदेश पर हुई कार्रवाई
बताया जाता है कि बिठूर के पारा प्रतापपुर निवासी महेंद्र मैथा तहसील में काम करता है। कागजातों पर उसकी ड्यूटी का कहीं कोई जिक्र नहीं है। कमिश्नर को मिली शिकायत के आधार पर अफसरों ने बुधवार को कारीगर महेंद्र के पारा प्रतापपुर स्थित घर में छापा मारा तो दो सौ से ज्यादा सरकारी फाइलें बरामद हुई। इस पर महेंद्र ने बताया, वह फाइलों का कवरिंग लेटर तैयार करने के लिए एक सप्ताह पहले ही उन्हें घर लाया था। बिठूर एसओ ने बताया कि मामला गंभीर है और प्रशासनिक अफसर तहरीर देते हैं तो कारीगर पर एफआईआर दर्ज होगी।
नया नहीं है मामला
तहसील दफ्तर में कारीगर के दखल का यह पहला मामला नहीं है। लंबे समय से कारीगर तहसील दफ्तरों में अफसरों और कर्मचारियों के बीच मजबूत कड़ी बनते जा रहे हैं। इनका प्रभाव इतना ज्यादा हो गया है कि बिना कारीगरों के तहसीलों में पत्ता तक नहीं हिल सकता। इन कारीगरों की पहुंच तहसील के दफ्तरों में हर पटल पर होती है। विभागीय अफसरों का इन पर हाथ होने के कारण कोई रोकटोक नहीं होती।
बाबू से कारीगर को होती जानकारी
प्रशासनिक दफ्तर या कोर्ट में बाबूओं से ज्यादा जानकार कारीगर ही माने जाते हैं। फाइलों के रखरखाव से लेकर तारीखें दिलाने तक में इनका हाथ होता है। किस फाइल में क्या आदेश होंगे और उसकी कहां कितनी सेटिंग की गई है। यह भी उसी की जिम्मेदारी होती है। कारीगर हमेशा ऑफिस लिपिक की पसंद का रखा जाता है। जिससे अधिकारी का सीधे तौर पर कुछ लेना देना नहीं होता। इस काम के लिए इन्हें कोई वेतन भी नहीं मिलता।
शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में कारीगर ही था खिलाड़ी
कारीगरों का खेल लगभग सभी दफ्तरों में बढ़ता जा रहा है। पिछले साल सबसे बड़े फर्जी शस्त्र लाइसेंस का भंडाफोड़ हुआ था। इस फर्जीवाड़े में कारीगर जितेन्द्र मास्टरमाइंड निकला उसके अलावा लिपिक विनीत भी इसमें शामिल था। दोनों के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कर जेल भेजा गया था। अब मैथा तहसील में तहसीलदार कोर्ट में तैनात कारीगर का मामला सामने आया है। उसके घर से कोर्ट की 225 फाइलें मिली हैं। जिसमें वह अधिकारी के लिए कवरिंग इंडेक्स बनाने का काम कर रहा था।
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