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21 लाख मतदाता बनेंगे भाग्यविधाता, दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर

locationकानपुरPublished: Oct 26, 2017 07:00:58 pm

Submitted by:

shatrughan gupta

2017 के इलेक्शन में 21 लाख 90 हजार मतदाता एक मेयर और 110 पार्षदों के भाग्यविधाता बनेंगे।

up nagar nikay chunav

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कानपुर. उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव की अधिसूचना किसी भी वक्त जारी हो सकती है। इसी के चलते सभी राजनीतिक दलों के अंदर टिकट को लेकर माथा-पच्ची चल रही है। वहीं चुनाव आयोग ने मतदाता सूची घोषित कर दी है। 2017 के इलेक्शन में 21 लाख 90 हजार मतदाता एक मेयर और 110 पार्षदों के भाग्यविधाता बनेंगे। 2012 के चुनाव के वक्त 20,35,911 लाख वोटरों ने मतदान किया था। एडीएफ फाइनेंस (सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी) संजय चौहान ने बताया कि 1,54,694 लाख नए मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। ये चुनाव इसलिए और अहम हो गया है कि यहां से सभी दलों के कद्दावर नेताओं की फौज है, जिन्हें अपनी पार्टी के कैंडीडेट्स को जिताकर लाने की जिम्मेदारी दी गई है।
1,54,694 लाख मतदाता पहली बार करेंगे वोट

नगर निकाय चुनाव को लेकर शहर में सरगर्मी बढ़ गई है। दावेदार टिकट पाने के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली दरबार में जाकर हाजिरी लगा रहे हैं। वहीं चुनाव आयुक्त भी एक्शन में है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने 2017 निकाय चुनाव के मतदाता सूची जारी कर दी है। 2012 के मुकाबले 2017 में 154694 लाख नए मतदाता वोट देकर अपना जनप्रतिनिधि चुनेंगे। पिछले चुनाव में भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण ने कांग्रेस के पवन गुप्ता को 53,323 वोट से हराया। द्रोण को 2,93,634 वोट मिले, जबकि पवन को 2,40,311 से संतोष करना पड़ा। इसके अलावा भाजपा के 27 और कांग्रेस के 23 पार्षद जीते तो 60 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी जीत का परचम लहराया था।
रामरतन गुप्ता चुने गए थे पहले मेयर

कानपुर के पहले मेयर 1960 में रामरतन गुप्ता चुने गए। इनका कार्यकाल महज दो वर्षों का रहा। इसके बाद धीरेंद्र नाथ बनर्जी 1962 में चुनाव जीतकर महापौर की कुर्सी पर बैठे। साथ ही सरदार इंदर सिंह, रतनलाल शर्मा, सरकार इंदर सिंह, भगवत प्रसाद तिवारी, रमेश्वर टाटिया, जटाधर बाजपेयी, रतनलाल शर्मा, जागेश्वर प्रसाद त्रिवेदी, श्रीप्रकाश जायसवाल, सरदार महेंद्र सिंह, सरला सिंह, अनिल कुमार शर्मा, रवींद्र पाटनी के अलावा जगतवीर सिंह द्रोण 2012 से लेकर 2017 तक मेयर रहे।
ब्राह्मण मतदाता हार-जीत करते हैं तय

कानपुर मेयर का चुनाव यहां के ब्राह्मण मतदाता करते हैं। करीब छह लाख ब्राह्मण वोटर लगातार भाजपा के पक्ष में जाता रहा और यहां कमल खिलता रहा। इसके अलावा वैश्य और मुस्लिम मतदाता भी अहम रोल अदा करते हैं, लेकिन अधितकर चुनावों में इनके बिखराव का फायदा भाजपा को मिलता आ रहा है। 2012 के चुनाव में अगर बसपा के सलीम अहमद मैदान में नहीं होते तो इसका फायदा सीधे कांग्रेस के पवन कुमार को होता। उस चुनाव में करीब तीन लाख वोट बसपा के खाते में चले गए और यहीं से द्रोण की विजय पक्की हो गई।
इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

निकाय चुनाव में इस बार भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के कद्दावर नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। शहर से भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी तो कानपुर देहात से देवेंद्र सिंह भोले सांसद हैं। यूपी कैबिनेट में मंत्री सतीश महाना के अलावा सत्यदेव पचौरी हैं, जिनके बल पर भाजपा कमल खिलाने के लिए जुटी हुई है। वहीं कांग्रेस से पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जासवाल तो पूर्व सांसद राजाराम पाल व पूर्व विधायक अजय कपूर को भी पंजे की ताकत बढ़ाने का फरमान मिल चुका है। सपा से इरफान सोलंकी और अमिताभ बाजपेयी तो बसपा से पूर्व मंत्री अंटू मिश्रा भी चुनाव के दौरान अपनी ताकत का अहसास कराएंगे।

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