अधिकांश लोग कोरोना संक्रमित ग्रामीणों के मुताबिक इन हालातों में गांव में जांच व सैनिटाइजेशन के नाम पर खानापूरी हो रही है। बताया गया कि इस संकटकाल में भी सरकारी अस्पताल में एक साल से ताला लटका है। समूचा गांव शमशान बनकर रह गया है। बताया गया कि करीब 15 दिन पहले गांव के रामशंकर चौरसिया, राम प्रसाद, राजकुमार गुप्ता, काले गुप्ता, राकेश सविता, शोमी तिवारी व रजन बाबू को पहले बुखार आया। फिर सांस लेने में दिक्कत होने के बाद एक-एक करके हफ्ते भर के अंदर इनकी मौत हो गई। सभी में कोरोना जैसे लक्षण थे, मगर जांच किसी की नहीं हुई। इनमें कई लोग जो अच्छे अस्पतालों में पहुंच गए, वे बाद में कोरोना संक्रमित पाए गए। ऐसे में लोग एक दूसरे के घर जाने से डर रहे हैं।
कई परिवार छोड़ गए गांव ग्रामीणों ने बताया कि हालात गंभीर होते जा रहे हैं। घर घर पर ही इलाज चल रहा था। इस दौरान करीब 15 दिन में राहुल तिवारी, श्रीकांत अवस्थी, अरविंद अवस्थी, रामशंकर चौरसिया, राम प्रसाद, राजकुमार गुप्ता, काले गुप्ता, राकेश सविता, शोमी तिवारी, रजन बाबू कुशवाहा, घसीटे, भूरा, राम अवतार कुरील, गंगा प्रसाद, हरिश्चंद्र कुशवाहा, कौशल किशोर श्रीवास्तव, राजकिशोर मिश्रा, चंपा रानी कुरील, हरिशंकर माली, सरला तिवारी, मिर्ची लाल प्रजापति, रामआसरे वर्मा की पत्नी, दनकू कुरील आदि लोगों की मौत हो चुकी है। बीमारी की दहशत में गांव के ग्रामीण सुघर, भोला, सुनील तिवारी के अलावा करीब आधा सैकड़ा ग्रामीण अपने परिजनों के साथ रिश्तेदारी व अन्य सुरक्षित जगहों के लिए पलायन कर चुके हैं। कई लोग बुजुर्ग व बच्चों को रिश्तेदारों के पास छोड़ आए हैं।