केडीए ने २०१५ में बॉटेनिकल गार्डेन के टेंडर निकाले थे। जिसमें कोलकाता की कंपनी जीपीटी इन्फ्राप्रोजेक्ट प्रालि. को निर्माण कार्य दिया गया था। यह पूरा प्रोजेक्ट ७० करोड़ रुपए का था, जिसमें १७ करोड़ ८० लाख रुपए केडीए ने कंपनी को एडवांस के तौर पर दिए थे। मगर काम की रफ्तार बेहद सुस्त थी। अक्टूबर २०१८ तक केवल २० प्रतिशत काम ही हो पाया था।
५० एकड़ क्षेत्रफल में बनने वाले इस गार्डेन में कई खास काम कराए जाने थे। जिसमें स्नान घाट, बोट क्लब, वॉटर पार्क, फूड कोर्ट, योग, मेडीटेशन भवन, सत्संग भवन, पिकनिक स्पॉट, चिल्डे्रन प्ले एरिया और २५०० लोगों की क्षमता का एम्फी थिएटर सहित ३० एकड़ में पार्क का निर्माण किया जाना था।
काम की बेहद धीमी रफ्तार पर केडीए वीसी किंजल सिंह ने नाराजगी जताई थी और काम पर रोक लगा दी। जिसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने नया खेल किया। कंपनी के अधिकारियों ने केडीए के फर्जी दस्तावेज लगाकर इलाहाबाद बैंक से एक करोड़ ३४ लाख की आर्नेस्ट मनी और ३ करोड़ की गारंटी की रकम कैश करा ली।
जब केडीए के इस फर्जीवाड़े के बारे में पता चला तो कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तब सारे नंबर बंद मिले। जिसके बाद केडीए ने कंपनी के तीन निदेशक अतुल तंतिया, द्वारिका प्रसाद, ममता बिनानी और प्रबंध निदेशक श्रीगोपाल तंतिया पर धोखाधड़ी, पैसे हड़पने और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया है।