कानपुर

लॉकडाउन ने लगाई बंदिशें तो कोरोना से लडऩे को नए उद्यम हुए शुरू

नए स्टार्टअप के जरिए शहर के ६२ युवाओं ने शुरू किया पीपीई बनाने का काम डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ की परेशानियों को कम करने में जुटे ये लोग

कानपुरApr 09, 2020 / 12:33 pm

आलोक पाण्डेय

लॉकडाउन ने लगाई बंदिशें तो कोरोना से लडऩे को नए उद्यम हुए शुरू

कानपुर। देश में कोरोना का संक्रमण बढ़ा तो सरकार को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा। हालांकि लॉकडाउन ही एकमात्र जरिया है कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने का, लेकिन इसके चलते लागू हुई बंदिशों ने उद्योग-धंधों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। मगर दूसरी तरफ कोरोना से जंग में शहर के ६२ युवा कूद पड़े हैं और उन्होंने नए स्टार्टअप को जन्म दिया। ये युवा कोरोना को हराने और पैरामेडिकल स्टाफ की समस्याओं को कम करने के लिए पीपीई यानि पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट तैयार करा रहे हैं।
क्या है पीपीई
जैसा की नाम से ही जाहिर है पीपीई यानि पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट। इसका मतलब निजी सुरक्षा के लिए तैयार चीजें। कोरोना से बचाव के लिए जो पीपीई इस्तेमाल में लाए जाते हैं उनमें पीपीई सूट, सेनेटाइजर और मास्क सबसे प्रमुख हैं। जैसे-जैसे कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है वैसे ही इन पीपीई की मांग में भी इजाफा हो रहा है। ज्यादा मांग के चलते इनकी कमी भी पैदा हो रही है, इसी कारण शहर के ६२ स्टार्टअप्स इन चीजों के लिए ही शुरू हुए हैं।
पूरी ऊर्जा से जुटे युवा उद्यमी
युवा उद्यमियों की क्षमता और कौशल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले दस उद्यमी तीन लाख पीपीई बनाने के लिए तैयार हैं। स्टार्टअप शुरू करने वाले युवा उद्यमी बेहद सस्ते पीपीई सूट तैयार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये दौर ज्यादा मुनाफा कमाने का नहीं बल्कि देश की जरूरतों को पूरा करने का है। इन उत्पादों के बेस रॉ मैटेरियल का संकट है क्योंकि उनका आयात चीन से होता था। इन उद्यमियों ने लोकल स्तर से कच्चा माल जुटाया है। कोई डीआरडीओ के साथ पीपीई सूट तैयार कर रहा है तो किसी का फोकस सिंगल यूज पीपीई पर है।
रोका गया पीपीई का निर्यात
केंद्र सरकार ने पीपीई सूट का एक्सपोर्ट रोक दिया है, ताकि देश की जरूरतों को पूरा किया जा सके। डिस्पोजेबल बैग के साथ मास्क, कवरआल, हेडकवर और शू कवर का सेट दे रहे हैं। मांग बहुत है लेकिन फैक्ट्री में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की वजह से केवल 20 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.