दरअसल 23 मार्च को कोरोना संक्रमण की आहट के साथ ही मेडिकल कालेज में कोविड मरीजों के लिए दो वार्ड सहित स्टाफ की व्यवस्था की गई थी। वहीं संक्रमित प्रसूताओं के लिए अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में 20 बेड की अलग कोविड यूनिट तैयार की गई। तीनों कोविड हॉस्पिटल में रोटेशन में हर दिन 108 से 116 डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की ड्यटी लगाई जा रही है। पांच कोविड मरीजों का हैलट के न्यूरो कोविड हॉस्पिटल में 11 दिनों से इलाज हो रहा था। जिसमें बचे तीन मरीजों की सोमवार शाम कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई। इससे उन्हें भी डिस्चार्ज कर दिया गया। रात में कोई मरीज नहीं बचा।
इस पर डॉक्टरों ने कहना शुरू कर कि अब कोविड हॉस्पिटल का दायरा कम किया जाना चाहिए। हालांकि, सुबह एक मरीज न्यूरो कोविड में तो दो संक्रमित प्रसूताओं को जच्चा-बच्चा कोविड विंग में भर्ती कराया गया। इससे फिर से पूरे स्टॉफ को प्रोटोकॉल के चलते सक्रिय हो गया। हैलट कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी प्रो. प्रेमसिंह ने बताया कि कोविड हॉस्पिटल में न्यूनतम मरीज हैं लेकिन 50 से ज्यादा डॉक्टरों और कुल सौ से ज्यादा स्टाफ को ड्यूटी करनी पड़ रही है। मैटरनिटी कोविड अस्पताल तो खाली पड़ा है लेकिन डॉक्टर ड्यूटी पर हैं। 27 जेआर और एसआर रोटेशन में ड्यूटी कर रहे हैं।