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पानी और प्रदूषण के चलते बदल लिया घर, डोमनपुर में उछल-कूद करती दिखी डॉल्फिन

locationकानपुरPublished: May 14, 2018 07:37:20 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

कानपुर को छोड़ फतेहपुर की तरफ बड़ाए कदम, गंगा में प्रदूषित पानी बहता रहा तो बहुत दूर निकल जाएगा यह जलीव जीव

कानपुर को छोड़ फतेहपुर की तरफ बड़ाए कदम, गंगा में प्रदूषित पानी बहता रहा तो बहुत दूर निकल जाएगा यह जलीव जीव
कानपुर। बिठूर से लेकर गंगाघाट तक गंगा में पानी के साथ ही प्रदूषण के चलते डॉल्फिन ने अपना ठिकाना बदल लिया है। पिछले साल गंगाबैराज में डॉल्फिन गंगा के अंदर मटरगस्ती करते हुए दिखी थी, लेकिन 2018 में यह एकाएक लापता हो गई। इसी के बाद गंगा में जलीय जीवों, किनारे रहने वाले पक्षियों आदि का रैपिड सर्वे करने वाली भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम कानपुर के दर्जनभर घाटों में जाकर पानी के अंदर जलीव जीवों की पड़ताल की तो पता चला कि डॉल्फिन ने अपना नया घर सरसौल के डोमनपुर स्थित बना लिया है। टीम ने गगा जल में उतर कर 50 किमी सर्वे किया। इस दौरान डोमनपुर से लेकर भिटौरा जिला फतेहपुर में 60 से ज्यादा डॉल्फिन उछल कूद करते हुई दिखीं।
गंगा बैराज में दिखीं थीं डॉल्फिन
बिठूर से लेकर गंगाबैराज तक एक साल पहले तक 100 से ज्यादा डॉल्फिन की संख्या पाई गई थी। 2017 जून के माह में गंगा में जलीय जीवों, किनारे रहने वाले पक्षियों आदि का रैपिड सर्वे करने वाली भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम ने उस वक्त गंगाबैराज में पांच डॉल्फिन के परिवार खोजे थे, जिसमें 40 से 60 के बीच डॉल्फिन की संख्या पाई थी। लेकिन पानी की मात्रा कम होने के साथ-साथ गंगा में प्रदूषण के चलते डॉल्फिन ने यह इलाका छोड़ दिया और सरसौल के डोमनपुर घाट के आसपास अपने-अपने घर तैयार कर लिए। टीम के सदस्य सौरभ ने बताया कि अगर पानी और प्रदूषण नहीं रूका तो डॉल्फिन कानपुर के नख्शे से पूरी तरह से गायब हो जाएगी। अगर इन्हें बचाए रखना है तो जिला प्रशासन को गंगा की सफाई और पानी की पर्याप्त मात्रा रखनी होगी। क्योंकि डॉल्फिन साफ और ज्यादा बहाव वाले इलाके में अपना ठिकाना बनाती है।
इसके चलते भिटौरा के बनाया घर
टीम के सदस्य सौरभ ने कहा सरसौल से लेकर भिटौरा पर टीम का सर्वे खत्म हुआ। यहां डॉल्फिन के तीन परिवार दिखाई दिए। जिनमें वयस्क, अल्पवयस्क और बच्चे शामिल थे। परिवार के कुल सदस्यों की संख्या करीब 50 बताई गई। लगभग 50 किलोमीटर के सर्वे में टीम के सदस्यों को कछुए व अन्य जलीय जीव और सारस, पेंटेड स्टॉर्क, ओरिएंटल व्हाइट आइबिश, रिवर लैपविंग, कारमोरेंट, डार्टर (सभी पक्षी) भी दिखे। टीम मंगलवार को भिटौरा से आगे की तरफ बड़ेगी और हमें उम्मीद है कि इन इलाकों में बड़ी संख्या में डॉल्फिन हो सकती हैं। क्योंकि भिटौरा के आगे गंगा का जल बिलकुल साफ और ज्यादा मात्रा में है। डॉल्फिन का यह आंकड़ा सौ के पार पहुंच सकता है।
डोमनपुर से भिटौरा तक पानी साफ
सर्वे टीम के सदस्यों ने बताया कि बिठूर से लेकर गंगाघाट तक गंगा का पानी बहुत प्रदूषित मिला। साथ ही पानी की मात्रा भी उतनी नहीं थी, जिससे कि डॉल्फिन यहां अपना ठिकाना बना सके। डोमनपुर से जैसे ही टीम भिटौरा की ओर बढ़ी तो उसे पानी की गुणवत्ता भी ठीक मिली। टीम के सदस्य सौरभ ने कहा भिटौरा पर टीम का सर्वे खत्म हुआ। यहां डॉल्फिन के तीन परिवार दिखाई दिए। जिनमें वयस्क, अल्पवयस्क और बच्चे शामिल थे। बताया, अधिकांश स्थानों पर पानी का बहाव धीमा मिला। इसके लिए जल्द ही संस्थान की ओर से जल्द दूसरी टीम बहाव की गणना के लिए आएगी। इसके बाद सभी आंकड़ों को एकजुट कर सदस्य वैज्ञानिक अध्ययन करेंगे। साथ ही यह जानेंगे कि आखिर गंगा में जलीय जीवों की घटती संख्या का प्रमुख कारण क्या है। आखिर वह गंगा से क्यों दूर हो रहे हैं।
कुछ इस तरह से करते हैं सर्वे
सौरभ जो अपनी टीम के साथ गंगाबैराज स्थित पिछले कई दिनों से डेरा जमाए हुए हैं, ने बताया कि पानी में डिजाल्व ऑक्सीजन, पीएच, कंडक्टीविटी समेत अन्य जानकारियां हासिल करने के लिए टीम के सदस्य वाटर टेस्टिंग किट अपने साथ रखते हैं। टीम के सदस्यों के पास ’गोप्रो’ नाम से एक वाटरप्रूफ कैमरा होता है। जो पानी के अंदर मौजूद जलीय जीवों की तस्वीरों को खुद में कैद कर लेता है। इससे वीडियो रिकॉर्डिग भी की जा सकती है। ’डेफ्थ फाइंडर’ डिवाइस से पानी की गहराई नापी जाती है। इसे पानी के अंदर डुबोकर सदस्य यह जांच लेते हैं कि पानी कितना गहरा है। टीम के सदस्य जलीय जीवों व पक्षियों की गणना के लिए बायनाकुलर यानी दूरबीन व कैमरे भी साथ रखते हैं। सौरभ ने बताया कि गंगा में बहुत से विलुप्त प्रजाति की जलजीव सर्वे के दौरान हमारे कैमरे में कैद हुए हैं, जिनका सरंक्षण ठीक तरीके से किया जाए तो इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो सकती हे।
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