एचबीटीयू में पिछले एक माह से एक अनोखा मामला चर्चा में है। विवि के परीक्षा नियंत्रक और सिविल इंजीनियरिंग विभाग के हेड प्रो. प्रदीप कुमार का कंसल्टेंसी का करीब 6.38 लाख रुपए विवि के पास आया था। इस रकम को उनके खाते में ट्रांसफर करना था। जून में लिपिकीय गलती की वजह से 6.38 लाख रुपए प्रो. प्रदीप कुमार के बजाए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी प्रदीप कुमार के खाते में ट्रांसफर हो गया। जानकारी होते ही विवि प्रशासन ने कर्मचारी को रकम वापस करने का निर्देश दिया।
रजिस्ट्रार प्रो. मनोज कुमार शुक्ला ने बताया कि कर्मचारी ने लिखित रूप से जवाब दिया कि वह यह रकम वापस नहीं करेगा। यह मोदी जी ने पहली किस्त के रूप में भेजा है। उन्होंने बताया कि रकम ट्रांसफर होने के दूसरे दिन ही कर्मचारी ने साढ़े चार लाख रुपए खाते से निकाल कर खर्च भी कर दिए। अधिकारियों के अधिक दबाव पडऩे पर कर्मचारी ने कहा कि वह रकम नहीं लौटाएगा, अगर जरूरत है तो हर माह दो-दो हजार रुपए करके दे सकता हूं। रजिस्ट्रार ने कहा कि कर्मचारी को कई बार पत्र लिखने के बावजूद उसने रकम वापस नहीं की है। कर्मचारी प्रदीप कुमार को निलंबित कर रजिस्ट्रार कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
चपरासी प्रदीप कुमार का खाता सीज कर दिया गया है। मामले की जांच के लिए प्रो. परमार, प्रो. भास्कर और प्रो. विनोद यादव की एक कमेटी बनी है, जो जांच कर 15 दिन में रिपोर्ट देगी।