राजकीय मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर पहले तो काली पट्टी बांधकर मरीजों का इलाज करते रहे। इसके बाद अचानक कामकाज ठप कर हंगामा किया। प्राचार्य डॉ. डीएस मर्तोलिया व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिलीप सिंह को ज्ञापन देकर पांच से लंबित वेतन दिलाने की हुंकार भरी। कहा कि अब मरीजों का उपचार नहीं करेंगे। इससे मेडिकल कॉलेज प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। जिसके बाद सभी डॉक्टरों ने वेतन की मांग को लेकर ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं तक बंद कर दी।
करीब एक सप्ताह से चल रहा है प्रदर्शन संविदा पर तैनात जूनियर व सीनियर करीब 65 डॉक्टरों का वेतन पांच माह से नहीं मिल रहा है। इसको लेकर छह दिन से प्रदर्शन चल रहा था। बीच में वेतन दिलाने का आश्वासन भी मिला था। इसके बाद भी सुनवाई न होने से मामला यहां तक पहुंच गया। डॉक्टरों ने कहा कि अब गुरुवार से इमरजेंसी सेवाएं भी ठप कर देंगे।
उच्चाधिकारियों को दी जा रही मामले की जानकारियां
इसकी मेडिकल कॉलेज में चल रहे मामले की पल-पल की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी जा रही है। वेतन देने के लिए उच्चाधिकारियों ने आठ दिन का समय मांगा था। इससे पहले जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर कार्रवाई होगी।
इसकी मेडिकल कॉलेज में चल रहे मामले की पल-पल की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी जा रही है। वेतन देने के लिए उच्चाधिकारियों ने आठ दिन का समय मांगा था। इससे पहले जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर कार्रवाई होगी।
कन्नौज के 65 डॉक्टरों ने की सामूहिक हड़ताल
कन्नौज के राजकीय मेडिकल कॉलेज के सभी जूनियर और सीनियर पैसठ (६५) डॉक्टर सामूहिक हड़ताल पर चले गए । डॉक्टरों को बीते छह माह से वेतन नहीं मिल रहा है । वह लगातार शासन प्रशासन को अपनी मांगों से अवगत कराते आये हैं। कोई सुनवाई न होने से डॉक्टरों ने आज मेडिकल कॉलेज की ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं को ठप कर दिया और सामूहिक हड़ताल पर चले गए। डॉक्टरों का कहना है कि वह अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे है और अब वह कोई मरीज नहीं देखेंगे।
बशर्ते की उनकी समस्या को हल न कर दिया जाए । सभी जूनियर सीनियर डॉक्टर आज ओपीडी और इमरजेंसी के बाहर बैठे और मरीजों का बहिष्कार किया। आज उनका धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने सारी सेवाएं ठप्प करके मरीजों को नहीं देखा।डॉक्टरों में इस बात को लेकर काफी रोष नज़र आया की उनकी समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
कनौज मेडिकल कॉलेज में रोजाना लगभग एक हजार मरीज ओपीडी और इमरजेंसी में आते है जिन्हें जबरदस्त परेशानी का सामना करना पड़ेगा । डॉक्टरों का कहना है कि वह अपनी मांगों को लेकर यह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वो सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। मेडिकल कॉलेज बंद होगा या नहीं यह शासन की ज़िम्मेदारी है ।