नस बंद मिली
पेशे से ट्रक चालक अमर को एक साल पहले दिल में दर्द हुआ। उसने सूरत में डाॅक्टरों को दिखाया, जहां इलाज के बाद उसे आराम नहीं मिला। अमर के परिजन उसे लेकर कानपुर स्थित कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट आए और हार्ट सर्जन नीरज कुमार को दिखाया। उन्होंने रोगी की जांच करवाई । एंजियोग्राफी में उसके हार्ट की एक नस पूरी तरह बंद मिली। उन्होंने तत्काल मरीज को एडमिट कर उसका आॅपरेशन किया और उसकी जान बचा ली।
एक माह तक रहा एडमिट
रोगी को अधिक दर्द होने पर सात अप्रैल को कार्डियोलॉजी की ओपीडी में लाया गया। डॉ. नीरज कुमार ने उसे तुरंत भर्ती कर एंजियोग्राफी कराई तो एक रक्तवाहिनी (एलएडी) पूरी तरह बंद मिली। उसकी सर्जरी छाती पर चीरा लगाने के बजाय दाईं तरफ बगल से की गई। डाॅक्टर नीरज के मुताबिक संस्थान में बाईपास का सबसे कम उम्र का यह पहला रोगी है। जिसका सफलता पूर्वक आॅपरेशन के बाद 5 मई को छुट्अी कर दी। डाॅक्टर के मुताबिक, चार साल पहले चेन्नई में 17 साल के युवक के हार्ट की बाईपास सर्जरी हुई थी।
युवाओं की संख्या में बढ़ोतरी
डॉ. नीरज कुमार का कहना है कि बिगड़ती लाइफ स्टाइल और खानपान के कारण कम उम्र में हार्ट अटैक बड़ी चुनौती बन रहा है। बताया कि ओपीडी में बहुत से किशोर और युवा आ रहे हैं जो सीने में दर्द, कम धड़कन की तकलीफ बताते हैं। ऐसे युवाओं को तुरंत उचित चिकित्सीय परामर्श लेनी चाहिए। डाॅक्टर के मुताबिक 2018 से लेकर 2019 में बड़े पैमाने पर युवा हार्ट अटैक की चपेट में आए हैं। युवाओं को बाहर का भोजन और अपने लाइफ स्टाइल पर ध्यान देना चाहिए।