युवा जैसा हो जाता दिमाग
उम्र बढऩे के साथ-साथ हमारा दिमाग सिकुडऩे लगता है और उसका आपसी संपर्क कमजोर हो जाता है। मगर तीन माह साइकिलिंग से तीन साल पहले जैसा युवा हो जाता है। जिससे दिमागी काम करने वालों को ज्यादा फायदा मिलता है। इलिनियोस यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट आर्थर क्रैमर के मुताबिक भी तीन महीने साइकिल चलाने जैसी कसरत करने से दिमाग तीन साल पहले जैसा युवा हो जाता है।
याददाश्त होती तेज
साइकिलंग से याददाश्त भी काफी तेज होती है, यह बात जर्नल आफ क्लीनिकल एंड डाइग्लोस्टिक रिसर्च में छपे अध्ययन में साइकिलिंग से होने वाले कुछ अप्रत्याक्षित फायदों में उजागर की गई है। शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि 30 मिनट तक साइकिल चलाने के बाद लोगों ने याद्दाश्त, तार्किक क्षमता और प्लानिंग में ज्यादा बेहतर अंक हासिल किए। जबकि साइकिल चलाने से पहले उनके अंक कम थे। यही नहीं साइकिल चलाने के बाद उन्होंने टेस्ट को कम समय में भी पूरा किया।
उम्र बढऩे के साथ-साथ हमारा दिमाग सिकुडऩे लगता है और उसका आपसी संपर्क कमजोर हो जाता है। मगर तीन माह साइकिलिंग से तीन साल पहले जैसा युवा हो जाता है। जिससे दिमागी काम करने वालों को ज्यादा फायदा मिलता है। इलिनियोस यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट आर्थर क्रैमर के मुताबिक भी तीन महीने साइकिल चलाने जैसी कसरत करने से दिमाग तीन साल पहले जैसा युवा हो जाता है।
याददाश्त होती तेज
साइकिलंग से याददाश्त भी काफी तेज होती है, यह बात जर्नल आफ क्लीनिकल एंड डाइग्लोस्टिक रिसर्च में छपे अध्ययन में साइकिलिंग से होने वाले कुछ अप्रत्याक्षित फायदों में उजागर की गई है। शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि 30 मिनट तक साइकिल चलाने के बाद लोगों ने याद्दाश्त, तार्किक क्षमता और प्लानिंग में ज्यादा बेहतर अंक हासिल किए। जबकि साइकिल चलाने से पहले उनके अंक कम थे। यही नहीं साइकिल चलाने के बाद उन्होंने टेस्ट को कम समय में भी पूरा किया।
दिमागी क्षमता बढ़ती हैं
नियमित रूप से साइकिल चलाने से नई ब्रेन सेल्स बनने में मदद मिलती है और दिमाग की क्षमता दो से तीन गुना तक बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब आप साइकिल चलाते हैं तो अपनी नर्व सेल्स को एक तरह से पावर स्टार्ट करते हैं। जैसे ही ये न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं, तो वे ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोथ्रोपिक फैक्टर (बीडीएनएफ) नाम के प्रोटीन और नॉगिन्स नाम के कंपाउंड को तेजी से बनाने लगते हैं।
नियमित रूप से साइकिल चलाने से नई ब्रेन सेल्स बनने में मदद मिलती है और दिमाग की क्षमता दो से तीन गुना तक बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब आप साइकिल चलाते हैं तो अपनी नर्व सेल्स को एक तरह से पावर स्टार्ट करते हैं। जैसे ही ये न्यूरॉन्स सक्रिय होते हैं, तो वे ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोथ्रोपिक फैक्टर (बीडीएनएफ) नाम के प्रोटीन और नॉगिन्स नाम के कंपाउंड को तेजी से बनाने लगते हैं।
दूर होता मधुमेह, नियंत्रित होता बीपी
जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड डाइग्लोस्टिक रिसर्च में छपे अध्ययन में छह महीने तक साइकिल चलाने वाले 26 टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य हो गया। यही नहीं उनका रक्तचाप भी सामान्य हो गया। इसके अलावा साइकिल चलाने से तनाव कम होता है और मूड अच्छा रहता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक साइकिल चलाने से सेरोटोनिन और डोमाइन जैसे केमिकल बनते हैं जिनसे किसी भी व्यक्ति को काफी अच्छा महसूस हो सकता है। साइकिल चलाने से एंड्रोफिन्स और कैनाबिनोएड्स जैसे केमिकल भी शरीर में बनते हैं, ये व्यक्ति के व्यवहार को बेहतर बनाने में कारगर होते हैं।
जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड डाइग्लोस्टिक रिसर्च में छपे अध्ययन में छह महीने तक साइकिल चलाने वाले 26 टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य हो गया। यही नहीं उनका रक्तचाप भी सामान्य हो गया। इसके अलावा साइकिल चलाने से तनाव कम होता है और मूड अच्छा रहता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक साइकिल चलाने से सेरोटोनिन और डोमाइन जैसे केमिकल बनते हैं जिनसे किसी भी व्यक्ति को काफी अच्छा महसूस हो सकता है। साइकिल चलाने से एंड्रोफिन्स और कैनाबिनोएड्स जैसे केमिकल भी शरीर में बनते हैं, ये व्यक्ति के व्यवहार को बेहतर बनाने में कारगर होते हैं।