एक अन्य शिक्षा मित्र रमेश द्विवेदी ने लिखा है कि ईश्वर एक बार पुनः इस वज्रपात को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। सभी शिक्षामित्र भाइयों, बहनों से हाथ जोड़कर आग्रह हैं कि दुनियां सिर्फ नौकरी के छोर पर ही जाकर समाप्त नही होती है। लेकिन यह जरूर है कि इतनी आसानी से कही जाने वाली बात दिल और दिमाग से भी यू ही नही निकल पाती है। उन्होंने कहा कि आपको अपने अतिरिक्त अपने बच्चो, पत्नी ओर बूढ़े माँ-बाप के बारे मे भी सोचना है। जो सिर्फ आप पर ही आश्रित है। अतः निराशा में कोई गलत सोच या कदम नहीं उठाना है। जैसा ईश्वर और किस्मत का आदेश है। उसे स्वीकार कर आगे बढिए। उन्होंने हाथ जोड़कर निवेदन किया है कि कोई भी शिक्षा मित्र भाई-बहन निराशा में कोई गलत कदम ना उठाये। आपके बच्चे सिर्फ आपके ऊपर ही आश्रित है और उन्हे आपकी छत्रछाया की बहुत जरूरत है। आप रहेंगे तो उन्हें पाल लेंगे। इसलिये धैर्य रखिये समय बदलेगा, समय एक जैसा नहीं रहता है। सभी लोग नौकरीं ही नहीं करते है। आप भी मानिए हम नौकरीं नहीं करते है। आपलोग धैर्य रखिये। ईश्वर बहुत कारसाज हैं। आपका भी दिन जरूर बहुरेगा।