दो पुरवो का नहीं हुआ विकास
बिल्हौर तहसील के बरौली ग्राम पंचायत के चौखंडी और बरौली बुरवा में आजादी के 72 साल बीत जाने के बाद यहां आज भी ग्रामीण बदहाल जिंदगी जीने को विवश हैं। बिजली के नाम पर सरकारी योजना से खम्भे तो लग गए। लाइन भी खिंच गई, पर गांव में रोशनी के लिए कोई बल्ब नहीं लगवाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवाए जाने का अभियान शुरू किया, लेकिन इस योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिली। ग्रामीण खुले में शौच के लिए मजबूर हैं। रजनी देवी कहती हैं कि हमें आंख में दिखता नहीं। बहू लाठी के सहारे शौच के लिए खेत में ले जाती है।
डेंगू ने ढाया था कहर
गांव की गलियां कच्ची हैं। खड़ंजा तक नहीं लगवाया गया है, जिससे बारिश के दिनों में ग्रामीणों को जलभराव की समस्या से जुझना पड़ता है। सफाईकर्मी नहीं आने से गांव में कूड़े-कचरे के ढेर लगे हैं। ग्रामीण रवीश कुमार कटियार बताते हैं कि 2019 में डेंगू ने महामारी का रूप ले लिया और पांच ग्रामीणों की मौत हो गई। रघुबरन सिंह बताते हैं कि स्थानीय भाजपा विधायक, एसडीएम, बीडियो, सीडीओ और जिलाधिकारी के दर पर जाकर गुहार लगा चुके हैं पर हमें फरियाद किसी ने नहीं सुनी। ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि यदि गांव की दशा नहीं बदली गई तो हम अगले माह दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिलेंगे और अपना दूख उन्हें बताएंगे।
5 शौचायलों ही बनें
एक हजार आबादी वाले दोनों गांव में वोटरों की संख्या लगभग छह सौ है फिर भी किसी जनप्रतिनिधि ने यहां के वाशिंदों की तरफ ध्यान नहीं दिया है। यहां के लोग बीमार हो जाते हैं तो वह इलाज के लिए उन्हें कानपुर आना पड़ता है। गांव की शियाप्यारी और रालदुलारी ने ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव पर आरोप लगाते हुए बताया कि सरकारी कागजों में 250 से ज्यादा शौचालय बनकर तैयार हैं पर जमीन में महज 5। साथ ही पेयजल के लिए हैंडपंप नहीं होने के कारण हमें दूसरे गांव जाना पड़ता है। महिलाओं का आरोप है कि ग्राम प्रधान पर भाजपा के एक विधायक का संरक्षण मिला हुआ है। शिकायत के बाद भी उस पर कार्रवाई नहीं होती।
चुनाव का कर चुके हैं बहिष्कार
ग्रामीणों ने बताया कि 72 साल बीत जाने के बाद गांव के हालात जस के तस बने हुए हैं। 2014 में हमलोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देकर जिताया। उम्मीद थी कि हालात सुधरेंगे पर ऐसा नहीं हुआ। 2017 में समाजवादी पार्टी, बसपा के बजाए भाजपा के भगवती प्रसाद को विधायक चुना। जब चुनाव जीते तब से गांव नहीं आए। इसी के कारण 2019 के लोकसभा चुनाव का ग्रामीणों ने बहिष्कार किया था। ग्रामीणों का कहना है कि मोदी सरकार तो योजनाएं चला रही है पर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के कारण ये हमतक नहीं पहुंच रहीं हैं।
डीएम-एसडीएम से की शिकायत
ग्रामीणों के मुताबिक बिल्हौर एसडीएम से कईबार जनसमस्याओं को लेकर शिकायत दर्ज करा चुके हैं पर उन्होंने सिर्फ आश्वासन देकर टरका दिया गया। डीएम की जनसुनवाई में भी फरियाद लगाई जा चुकी है, लेकिन वहां से भी निराशा ही हाथ लगी है। मामले पर एसडीएम ने बताया कि शिकायत मिली है। मैं खुद मौके पर जाकर जांच करूंगी। यदि कहीं भी भ्रष्टाचार हुआ है तो दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं जब प्रधान व सचिव से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहंी उठाया।