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शोक के बाद भक्तों में दौड़ी खुशी की लहर, जब मंदिर के 115 वर्षीय महंत मृत्यु के बाद जीवित हो उठे, लोग मान रहे चमत्कार

locationकानपुरPublished: May 10, 2019 02:10:13 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थी। अचानक 4 घण्टे बाद उनकी सांस चलने लगी। जिससे लोग आश्चर्य में पड़ गए और एकाएक उत्साह की लहर दौड़ गई।

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शोक के बाद भक्तों में दौड़ी खुशी की लहर, जब मंदिर के 115 वर्षीय महंत मृत्यु के बाद जीवित हो उठे, लोग मान रहे चमत्कार

कानपुर देहात-अक्सर हम लोग किताबों में पढ़ते हैं या अपनी दादी नानी से कहानियां सुना करते हैं कि इंसान मृत्यु के बाद जीवित हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र के असालतगंज में स्थित द्रोणेश्वर मंदिर में रहने वाले 115 वर्षीय बाबा नारायण दास के साथ हुआ। जिनकी अचानक हृदय गति रुक गई थी और अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही थी। अचानक 4 घण्टे बाद उनकी सांस चलने लगी। जिससे लोग आश्चर्य में पड़ गए और एकाएक उत्साह की लहर दौड़ गई। इसे लोग ईश्वर का चमत्कार मान रहे हैं। क्योंकि महंत नारायण बाबा 20 वर्षों से हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर की सेवा में हैं और कुछ वर्षों से अन्न भोग नही करते हैं, सिर्फ फलाहार करते हैं। इसलिए लोग बाबा को चमत्कारी बाबा मान रहे हैं, फिलहाल पूरे क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
ग्रामीणों ने मौत के बाद जीवित होने का किया दावा

कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र के असालतगंज के प्राचीन द्रोणेश्वर मन्दिर, जो कि 5 हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर के प्रति लोगो की असीम आस्था है। यहां मन्दिर में रहने वाले बाबा की एक ऐसी कहानी सामने आई, जिसको लोग चमत्कारी मान रहे हैं। मंदिर में रहने वाले बाबा मृत्यु के 4 घंटे बाद जिंदा हो गए। हालात यह हैं कि 115 साल के महंत नारायण बाबा को लोग भगवान के रूप में देख रहे हैं तो कोई चमत्कारी बाबा मान रहे हैं। उनकी मौत के बाद एकत्रित हुए ग्रामीण जब उन्हें दफनाने ले गए तो वो पुनः जिंदा हो गए। यहां के ग्रामीणों का दावा है कि यहां रहने वाले 115 वर्ष के संत की मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु की खबर से पूरे गांव में शोक का माहौल था।
समाधि के लिए खोदा गया था गड्ढा

इसके बाद लोगों ने संत की समाधि बनाने के लिए मंदिर परिसर में एक गड्ढा खोदा और इन्हें दफनाने की तैयारियां लगभग पूरी कर ली थी। तभी बाबा की 4 घंटे बाद हृदय गति शुरू हो गई और बाबा जीवित हो उठे। ग्रामीणों के अनुसार ये एक चमत्कारी घटना है। हर कोई इसे चमत्कार ही मान रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि इनकी उम्र कोई 120 साल तो कोई 115 साल बता रहा है। बहरहाल कहानी कुछ भी हो, लेकिन इतनी लंबी आयु में फिर से मरने के बाद जिंदा होना सच में किसी चमत्कार से कम नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि बाबा का नाम नारायण बाबा है, जो 15 से 20 वर्ष पहले इस मंदिर में आये थे। लंबे समय से इन्होंने अन्न त्याग दिया है और ये महज फल का सेवन ही करते हैं।

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