कुत्ते की निकाली गई शव यात्रा ये हैरत अंगेज दास्तान कानपुर देहात के मुरीदपुर गांव की है, जहां लगभग 12 वर्षों से एक कुत्ता सभी का दुलारा बना हुआ था। लोगों ने प्यार से इसका नाम श्यामलाल रख दिया था। गांव के ग्रामीणों की माने तो बताया जा रहा है कि कभी कुत्तों के साथ रहता ही नहीं था। हमेशा किसी ना किसी के घर या चबूतरे पर ही रहता था। ना किसी को भौंकना ना किसी को काटता था। कोई कुछ भी खाने दे, वही खा लेता था। कुत्ता होने के बावजूद कुत्तों की आदतों से भिन्न था। दरअसल बीते 5 सितम्बर को बाइक की टक्कर से वह जख्मी हो गया था। तब से लगातार उसका इलाज कराया जा रहा था।
ग्रामीण बोले तेरहवीं संस्कार भी होगा कई पशु चिकित्सकों से उसका उपचार कराया गया लेकिन आज सुबह उसकी मौत हो गई, इससे पूरा गांव उदास हो गया। बेहद लगाव होने के चलते गांव वालों ने विधि विधान से उसकी अर्थी बनाई, फूल, दक्षिणा चढ़ाई। इसके बाद ग्रामीणों की भीड़ के साथ शव यात्रा निकालते हुए युमना नदी कालपी में उसका जल प्रवाह कर दिया। यहां के ग्रामीण ने बताया कि श्याम लाल की मौत होने से गांव में मातम सा छा गया है। अंतिम संस्कार करने के बाद उसका तेहरवीं संस्कार भी किया जाएगा।