क्या है पूरा मामला जानिए दरअसल सिकंदरा से 35 बच्चों को लेकर संदलपुर जा रही स्कूल बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना पर एडीएम वित्त एवं राजस्व विद्या शंकर सिंह ने उपजिलाधिकारी सिकंदरा से रिपोर्ट तलब की है। डीएम ने पूर्व में ही एआरटीओ व थानाध्यक्षों को मानक विहीन स्कूल वाहनों पर कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के व्यवसायीकरण में स्कूल संचालकों को नौनिहालों के जीवन से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जा सकती है। जिसके चलते एआरटीओ प्रवर्तन सुनील यादव ने सिकंदरा, राजपुर, डेरापुर व मुंगीसापुर में जबर्दश्त चेकिंग अभियान चलाकर आठ मानक विहीन स्कूल वाहनों का चालान भी किया है।
टैक्स बचाने में जुगत में लगे वाहन स्वामी बता दें कि वाहनों का मानक जांचने के लिए बने संभागीय परिवहन कार्यालय में यदि कोई निजी वाहन का पंजीकरण कराता है तो सामान्यत: वैन की कीमत का 8 फीसद उसे एकमुश्त टैक्स अदा करना होता है। इसी वाहन को यदि वह अपने नाम रखते हुए बच्चों को ले जाने के लिए पंजीकृत कराता है तो उसे प्रति तिमाही 3 हजार रुपए टैक्स, वाहन के रंग में परिवर्तन, परमिट चार्ज, फिटनेस आदि का खर्च बढ़ जाता है। वाहन यदि विद्यालय के नाम पंजीकृत होता है तब उसे एकमुश्त टैक्स की सुविधा मिलेगी लेकिन अन्य मानकों में उतना ही व्यय होगा। निजी वाहन और मानक पूरा करने वाले कॉमर्शियल वाहन में यह अंतर मोटे तौर पर लगभग 15 से 17 हजार के रूप में होता है। इसके चलते वाहन स्वामी मानकों को ताक पर रखकर खतरे की संभावना जानते हुए भी धड़ल्ले से कमाई में लगे रहते हैं।
वहीं घटना के बाद मौके पर पहुचे खंड शिक्षा अधिकारी शिववोदन वर्मा ने निजी स्कूल संचालकों के स्कूल मानक के जांच के आदेश दिए और कहा पूरे मामले की जाँच की जाएगी और जो दोषी होगा, उस पर कार्यवाही की जाएगी।