ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मुताबिक छात्रों की गिरती संख्या के चलते इंजीनियरिंग कॉलेजों के सामने संकट खड़ा हो गया है। कई कॉलेज तो बंद करने पड़े और कई कॉलेजों में सीटों की संख्या में कमी करनी पड़ गई।
छात्रों की गिरती संख्या का आंकड़ा इस साल और गिर गया है। २०१४-१५ में पॉलीटेक्निक के १३०७३४४ छात्र थे जो अब केवल ११९९४०१ रह गए हैं। इसी तरह इंजीनियरिंग में जो संख्या १९०१५०१ थी वह घटकर १५८६३४१ रह गई है। ऐसे में इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए चिंता होना स्वाभविक है।
इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक को लेकर पहले जो रुझान देखा जाता था आज वही स्थिति फार्मेसी और आर्किटेक्चर के लिए देखी जा रही है। छात्र अब फार्मेसी का कोर्स करके आसानी से जॉब पा जाते हैं, जबकि इंजीनियरिंग में अच्छे ग्रेड लाने की चुनौती उन्हें मुश्किल लगती है। इसी तरह आर्किटेक्चर की बढ़ती मांग ने भी छात्रों को इस ओर आकर्षित किया है। पिछले तीन वर्षों की स्थिति देखें तो इन दोनों कोर्स में हर साल करीब एक हजार छात्र बढ़ जाते हैं।
छात्रों की घटती संख्या से निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। छात्रों को आकर्षित करने के लिए कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों ने फीस भी कम की और सुविधाएं बढ़ाने की कवायद की, पर छात्र नहीं बढ़ पा रहे हैं। ऐसे में उनके लिए खर्चे निकालने की चुनौती आने लगी है।