प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी का कहना है कि संस्थान बनने से स्वायत्तता मिल जाएगी। शिक्षकों, मरीजों और कर्मचारियों की हर समस्या का समाधान स्थानीय स्तर पर हल किया जा सकेगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बेहद गम्भीरता से विभागवार समीक्षा की है। फरवरी तक मेडिकल कॉलेज संस्थान बन जाएगा। इंस्टीट्यूट का दर्जा मिलने के बाद यहां पर सर्जिंकल विभागों में चार गुना मैनपावर बढ़ाए जाने की बात कही जा रही है। साथ ही एनेस्थीसिया आईसीयू 50 बेड का प्रस्तावित है। अलग क्रिटिकल केयर यूनिट बनेगी जिसमें विभागवार बेड आरक्षित किए जाएंगे। जांचों की सुपर स्पेशियलिटी सुविधाएं हो जाएंगे।
मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को तरह तरह की चर्चा रही। शिक्षक, कर्मचारी और जूनियर डॉक्टर अपने हिसाब से गुणा भाग कर रहे थे। शिक्षकों को सबसे संशय नियुक्ति को लेकर रही। एक शिक्षक का कहना है कि संस्थान बनने से वह लोग मूल कैडर में रहेंगे या कैडर बदलेगा? मूल तैनाती और अटैचमेंट का क्या होगा। जो संविदा पर तैनात है उनकी संविदा का क्या होगा। आदि पर वह मंथन करते रहे।
जल्द बढ़ेंगी एमडी-एमएस की 85 सीटें
संस्थान बनने के बाद एमएस और एमडी सीटें भी बढ़ाई जा सकती हीैं। जल्द ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से इसे हरी झंडी मिल सकती है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की पहल पर सीटों को बढ़ाए जाने पर निर्णय होना है। मेडिकल कॉलेज की ओर से क्लीनिकल विषयों की सीटों को बढ़ाने का प्रस्ताव लम्बे समय से चल रहा है। प्राचार्य प्रो. आरती लाल चंदानी का कहना है कि इस समय पीजी में 110 सीटें हैं और यह बढ़कर 195 हो जाएंगी। इसके लिए इमरजेंसी मेडिसिन में पीजी की अलग सीटों को बढ़ाने के साथ कुछ विभागों में डीएनबी कोर्स शुरू करने पर भी फैसला हुआ है।