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साइलेंसर में लगा कार्बन कटर बाहर नहीं आने देगा धुएं का जहर

locationकानपुरPublished: Jan 10, 2019 01:17:40 pm

पी ग्रीन टेक सॉल्यूशन कंपनी के फाउंडर इरफान पठान ने बनाई मशीनधुएं से जहरीले कार्बन कण अलग होकर बदल जाते हैं पाउडर में

Carbon cutter

साइलेंसर में लगा कार्बन कटर बाहर नहीं आने देगा धुएं का जहर

कानपुर। वाहनों से निकलने वाले काले धुएं से वातावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकेगा। आईआईटी में आयोजित कार्यशाला में एक ऐसी मशीन के बारे में बताया गया है जो अगर वाहन के साइलेंसर पर लगा दी जाए तो वह धुएं में घुले हुए कार्बन कणों को अलग कर पाउडर में बदल देता है और यह पाउडर मशीन में ही रह जाता है। बाहर आता है केवल धुआं, जो कि जहरीला नहीं होता और वातावरण को प्रदूषित भी नहीं करता। इससे पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकेगा।
पुणे के इरफान का कमाल
आईआईटी में प्रदूषण पर आयोजित कार्यशाला के दौरान पुणे से आए पी ग्रीन टेक सॉल्यूशन कंपनी के फाउंडर इरफान पठान ने बताया कि धुएं से पीएम 2.5, पीएम 10 और जहरीले कार्बन कणों को अलग कर दिया जाए तो यह जानलेवा नहीं होगा। उन्होंने जो मशीन बनाई है, उसे गाड़ी में लगाने के बाद उससे निकलने वाला धुआं साफ होता है। यह मशीन चार पहिया, आठ पहिया, 16 पहिया गाडिय़ों के साइलेंसर के पास लगाई जाती है। इससे होकर निकलने वाले धुएं में कार्बनिक कण नहीं होते हैं। ये कण धुएं से अलग होकर पाउडर के रूप में जमा होते हैं। इस पाउडर को बाद में निकाल कर स्याही और डाई के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
तीन कारणों से धुआं बनता जहरीला
इरफान ने बताया कि तीन कारणों से वाहनों का धुआं वातावरण को प्रदूषित करता है। फ्यूल में मिलावट, खराब सड़क और ओवरलोड वाहन। नई गाडिय़ों में भी ये तीन समस्याएं हैं तो प्रदूषण होना तय है, पर कार्बन कटर मशीन से धुएं से जहरीले कण अलग किए जा सकते हैं।
आईआईटी का मास्क जहरीली हवा से बचाएगा
कार्यशाला के दौरान आईआईटी कानपुर के डॉ. संदीप पाटिल की देखरेख में छात्रों ने नैनो फाइबर टेक्नोलॉजी बेस्ड एक मास्क बनाया है, जो हवा में मिले जहरीले कणों को पूरी तरह रोक सकता है। चार लेयर में बने मास्क में नैनो फाइबर टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है। मास्क स्वासा की कीमत 50 से 60 रुपए है। यह एक माह तक प्रभावी रहता है। इसमें लगे नैनो फाइबर हवा में मिले पीएम-2.5, पीएम-10 समेत नैनो पार्टिकल भी सोख लेता है। छोटे बैक्टीरिया भी इसे पार नहीं कर सकते।
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