अखिलेश यादव ने बढ़ा दिए कदम
बीते दिनों लखनऊ में विधान भवन के सामने आलू फेंके गए। विपक्षी दलों ने इस पर भाजपा सरकार को घेरते हुए आलू किसानों की बदहाली पर आवाज तेज की। मगर, जांच के बाद पुलिस ने पाया कि आलू फेंकने वाले सपा नेता ही थे। यह सरकार के खिलाफ साजिश थी। अब इसे लेकर बेशक, भाजपा ने सपा पर पलटवार शुरू कर दिया हो, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब इस मामले पर पीछे हटना नहीं चाहते। उनके आदेश आते ही सपाई एक्शन में आ गए हैं और आंदोलन की रूपरेखा बनाना शुरू कर दिया है। सपा नगर अध्यक्ष मुईन खान ने बताया कि बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र स्थित सैकड़ों किसानों का आलू सड़ रहा है। कुछ लोगों ने उन्हें खेतों के अलावा सड़क पर भी फेंका था। योगी सरकार किसानों, बच्चों व गरीबों के मामलों पर संवदनशील नहीं है। सपा आलू को लेकर एक आंदोलन शुरू करेगी। कानपुर नगर से विधायक इरफान सोलंकी और अमिताभ बाजपेयी तो ग्रामीण से पूर्व मंत्री अरूणा कोरी, पूर्व विधायक अरूणा तोमर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष राघवेंद्र सिंह को आंदोलन की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही संगठन के अन्य पदाधिकारी भी कार्यकर्ताओं के साथ आंदोलन को धार देंगे।
जनप्रतिनिधियों के घरों के बाहर देंगे धरना
जिलाध्यक्ष राघवेंद्र यादव ने आंदोलन की रूपरेखा बनाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सिर्फ आलू उत्पादक ही नहीं, सभी किसान परेशान हैं। सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है। लिहाजा, अब हम सभी ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर किसानों से मुलाकात करेंगे। इसके लिए कार्यकर्ताओं की टीम बनाई जाएगी। हम सपा कार्यकर्ताओं के साथ गांव-गांव जाएंगे और आलू की उचित कीमत मिले इसके लिए सरकारी अफसरों के कार्यालयों के साथ ही भाजपा जनप्रतिनिधियों के घर के बाहर धरना देंगे। बताया, आलू की बेकदरी सहित अन्य मुख्य समस्याओं को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया जाएगा। आंदोलन किस स्तर तक करना है, इसके लिए हाईकमान से मार्गदर्शन लिया जाएगा। जिलाध्यक्ष ने बताया कि योगी सरकार के अफसर किसानों और गरीबों की नहीं सुनती। अब सपाई उनके साथ हर तहसीलदिवस पर उनके साथ आएंगे और न्याय के लिए अफसरों से बात करेंगे।
आलू रो रहा तो विकास के नाम पर भेदभाव
सपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि यूपी के सीएम 2 अक्टूर 2018 को सूबे को ओडीएफ मुक्त घोषित करने का एलान कर चुके हैं, लेकिन आज भी कानपुर जिले में दर्जनों गांव हैं, जहां लोग खुले में शौंच के लिए जाने को विवश हैं। राघवेंद्र सिंह ने बताया कि बिठूर विधानसभा क्षेत्र के नरवल तहसील के गांव सिम्मरनपुर में एक भी टॉयलेट नहीं बनवाया गया। जबकि दस कदमों की दूरी पर स्थिम गोपालपुर में सड़क, शौचालयों का निर्माण स्थानीय विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने करवाया है। भाजपा विधायक जनता के साथ भेदभाव कर रहे हैं। जहां-जहां से उन्हें वोट मिले हैं, उन्हीं गांवों को टॉयलेट और बिजली दे रहे हैं। सिम्मरनपुर दलित और यादव बाहूल्य गांव हैं, यहां पर सड़क, बिजली, पानी, स्कूल और टॉयलेट नहीं हैं। जबकि ब्यूरोकेट्स जिले को ओडीएफ मुक्त घोषित कर चुके हैं और सीएम उन्हें पुरूस्कार भी दे चुके हैं।
विधानसभा के बाहर फेंका था आलू
6 जनवरी की रात को लखनऊ स्थित विधानसभा के सामने सड़क पर भारी मात्रा में आलू फेंका गया था। शनिवार 7 जनवरी की सुबह को मीडिया में ये खबर आई तो हंगामा मच गया। तब कहा गया था कि आलू की कम कीमत मिलने से प्रदेश के किसान बेहद गुस्से में हैं। विरोध स्वरूप किसानों ने राजधानी लखनऊ की सड़कों पर बोरे के बोरे आलू सड़कों पर फेंक दिया। इसी के बाद सरकार की जमकर किरकिरी और पुलिस ने आलू फेंकने के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जानकारी दी थी की आलू फेंकने वाले लोगों का समाजवादी पार्टी से संबंध है। लखनऊ पुलिस के मुताबिक ये लोग समाजवादी पार्टी के टिकट पर नगर पंचायत का चुनाव लड़ चुके हैं। गिरफ्तार लोगों के नाम सुशील पाल और अंकित चौहान हैं। गिरफ्तार किये गये आरोपी कन्नौज के रहने वाले हैं।