एंबुलेंस की लेटलतीफी की अक्सर शिकायतें मिलती थीं। एंबुलेंस चालक जाम या व्यस्त होने का बहाना बनाकर समय पर नहीं पहुंचते थे। कई जगह पर तो एंबुलेंस का दूसरे कामों में उपयोग होने की बात सामने आ चुकी है। ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों से जुड़ी एंबुलेंस को अस्पताल के सामान की ढुलाई में इस्तेमाल किया जा रहा था। पर अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
१०८ और १०२ एंबुलेंस को मोबाइल एप से जोड़ा गया है। जिससे लखनऊ स्थित कंट्रोल रूम को हर जानकारी मिलती रहेगी। इससे पता चल जाएगा कि कौन सी एंबुलेंस किस लोकेशन पर है और मरीज तक कौन सी एंबुलेंस जल्दी पहुंच सकती है।
सेवा प्रदाता कंपनी के कानपुर के नोडल अधिकारी आशीष कुमार का कहना है कि अभी तक जीपीएस सिस्टम से एंबुलेंस के बारे में कुछ ही जानकारी मिल पाती थी, पर अब ये भी पता चल जाएगा कि एंबुलेंस में मरीज है या फिर वह खाली है।
नए सिस्टम के तहत यह आसानी से पता चल जाएगा कि एंबुलेंस खड़ी है या फिर चल रही है। उसमें मरीज के साथ जाम में फंसने की बात भी चेक की जा सकेगी। एंबुलेंस की स्पीड को भी ट्रेस किया जा सकेगा। इसके अलावा एंबुलेंस में मौजूद मरीज को क्या दवा दी जा चुकी है और मरीज को कहां से उठाया गया है, इसकी पूरी जानकारी भी कंट्रोल रूम को हो सकेगी।