मंदिर का रहस्य आज भी रहस्य कई बार इसे जानने के प्रयास किए जा चुके हैं कि आखिर पानी की बूंदे बिना बारिश कहां से आती हैं और इसके पीछे क्या कारण है। बेहटा बुजुर्ग स्थित यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आज भी है। पुरातत्व वैज्ञानिकों ने भी भरसक प्रयास किया, लेकिन इस रहस्य का कोई पता नहीं चल सका। यहां तक विदेशों से भी वैज्ञानिकों की टीमें आईं लेकिन असफल रहे। इतना जरूर पता किया जा सका कि इस मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। मगर इसका पहले निर्माण किसने कराया और कितनी बार जीर्णोद्धार हुआ और किसने कराया। इस बात की जानकारी आज भी किसी को नही है। लेकिन यहां मंदिर से टपकने वाली बूंदों से मानसून की जानकारी होने से स्थानीय किसानों को राहत जरूर मिलती है।
यह भी पढें: इस मंदिर में देवी प्रतिमा दिन में तीन बार बदलती रूप बाल्यावस्था युवावस्था और वृद्धावस्था, डाकुओं की आस्था का केंद्र वैज्ञानिकों का कहना है कि मंदिर के डिजाइन की और गहन जांच की जरूरत है। मंदिर के पं. पुजारी केपी शुक्ला कहते हैं मंदिर की सेवा करते मेरी सात पीढ़ियां गुजर गईं। दो दिन से मंदिर के गुंबद से पानी टपक रहा है। इस बार बूंदे छोटी हैं, यानी कमजोर बारिश होगी।