scriptप्राचीन जगन्नाथ मंदिर का रहस्य है अदभुत, मंदिर से टपकती बूंदे बतातीं हैं मानसून के हाल | Amazing Secret Of Jagannath Temple, Give Information Of Monsoon Kanpur | Patrika News

प्राचीन जगन्नाथ मंदिर का रहस्य है अदभुत, मंदिर से टपकती बूंदे बतातीं हैं मानसून के हाल

locationकानपुरPublished: May 30, 2021 01:48:36 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

-मंदिर की गुम्बद से टपकती बूंदे बतातीं मानसून,-अद्भुत है घाटमपुर का जगन्नाथ मंदिर,-रहस्य जानने में पुरातत्व विभाग भी रहा असफल,

प्राचीन जगन्नाथ मंदिर का रहस्य है अदभुत, मंदिर से टपकती बूंदे बतातीं हैं मानसून के हाल

प्राचीन जगन्नाथ मंदिर का रहस्य है अदभुत, मंदिर से टपकती बूंदे बतातीं हैं मानसून के हाल

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कानपुर जिले के घाटमपुर इलाके (Ghatampur Temple) में एक ऐसा अनोखा जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) है जो प्रत्येक वर्ष मानसून (Monsoon) के बारे में जानकारी देता है। जी हां यहां लोगों की मान्यता है कि मंदिर के गुम्बद के पत्थरों से टपकती पानी बूंदे मानसून की स्थिति बतातीं हैं। इस बार भी टपकती बूंदों ने मानसून की जानकारी दी है जो कि कमजोर होने के संकेत हैं। इलाकाई लोगों का कहना है कि मानसून आने के कुछ दिन पहले मंदिर में लगे पत्थर से बूंदें टपकती हैं। इन टपकती बूंदों के आकार से पुजारी मानसून की स्थिति की भविष्यवाणी (Monsoon Forecast) करते हैं। हालांकि इस मंदिर के इस रहस्य ( Jagannath Temple Secret) को लेकर लोग असमंजस में आज भी हैं।
मंदिर का रहस्य आज भी रहस्य

कई बार इसे जानने के प्रयास किए जा चुके हैं कि आखिर पानी की बूंदे बिना बारिश कहां से आती हैं और इसके पीछे क्या कारण है। बेहटा बुजुर्ग स्थित यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आज भी है। पुरातत्व वैज्ञानिकों ने भी भरसक प्रयास किया, लेकिन इस रहस्य का कोई पता नहीं चल सका। यहां तक विदेशों से भी वैज्ञानिकों की टीमें आईं लेकिन असफल रहे। इतना जरूर पता किया जा सका कि इस मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। मगर इसका पहले निर्माण किसने कराया और कितनी बार जीर्णोद्धार हुआ और किसने कराया। इस बात की जानकारी आज भी किसी को नही है। लेकिन यहां मंदिर से टपकने वाली बूंदों से मानसून की जानकारी होने से स्थानीय किसानों को राहत जरूर मिलती है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि मंदिर के डिजाइन की और गहन जांच की जरूरत है। मंदिर के पं. पुजारी केपी शुक्ला कहते हैं मंदिर की सेवा करते मेरी सात पीढ़ियां गुजर गईं। दो दिन से मंदिर के गुंबद से पानी टपक रहा है। इस बार बूंदे छोटी हैं, यानी कमजोर बारिश होगी।
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