कानपुर

अमित शाह की टीम में होगा सीएम योगी का यह मंत्री, संगठन में वापसी से डरे अखिलेश-मायावती

बुंदेलखंड और यादवलैंड में खिलाया था कमल, जीत के बाद अदृश्य चेहरे को योगी के मंत्रिमंडल में मिली थी जगह

कानपुरJun 14, 2018 / 10:38 am

Vinod Nigam

अमित शाह की टीम में होगा योगी यह मंत्री, संगठन में वापसी से डरे अखिलेश-मायावती

कानपुर। भारतीय जनता पार्टी विधानसभा 2014 की तर्ज पर ही लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही है। जिसकी रूपरेखा की अधारशिला रखने के लिए इसी माह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कानपुर आने के साथ ही 22 हजार बूथ प्रमुख, 31 विस्तारक, 147 मंडल प्रभारियों के साथ बैठक कर सकते हैं। इसकी जानकारी पिछले दिनों कानपुर आए यूपी के संगठनमंत्री सुनील बंसल ने पदाधिकारियों को बता चुके हैं। अमित शाह का दौरा सबसे पहले लखनऊ से शुरू होगा और योगी मंत्रिमंडल से कई मंत्रियों को हटाने के साथ ही नए चेहरों को मंत्री बनाया जाएगा। मंत्री पद छोड़ने वालों में से अधिकतर नेता संगठन में जाकर पार्टी को मजबूत करेंगे। इनमें से कुछ के नाम भी निकल कर बाहर आए हैं। 2014 से लेकर 2017 विधानसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र की 10 में से 9 लोकसभा तो 52 में 47 विधानसभा सीटों में कमल खिलाने वाले खास रणनीतिकार स्वतंत्रदेव सिंह हैं, जिन्हें फिर से यहां की जिम्मेदारी दी जा सकती है। स्वतंत्रदेव सिंह अमित शाह की टीम के अहम मोहरे हैं और वह चुपचाप पार्टी की जमीन तैयार करते रहते हैं।
कौन हैं स्वतंत्रदेव सिंह
स्तंत्रदेव सिंह उरई के निवासी है और 32 साल के राजनीतिक कॅरियर में इन पर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है। साफ सुथरी और इमानदार नेता के रूप में इनकी पहचान कानपुर-बुंदेलखंड के अलावा उत्तर प्रदेश में हैं। स्वतंत्रदेव देव सिंह वर्तमान में योगी सरकार में परिवहन मंत्री हैं और विधानसभा चुनाव के वक्त सीएम पद की दौड़ में इनका नाम भी चर्चा में आया था। बताया जाता है, स्वतंत्र देव सिंह पीएम मोदी के काफी करीबी हैं। उन्होंने बीजेपी में कार्यकर्ता से लेकर संगठनकर्ता तक का सफर तय किया है। लोकसभा चुनाव से लेकर यूपी विधानसभा चुनाव तक पीएम मोदी की सभी रैलियों को सफल बनाने का जिम्मा उन्हीं के पास था और अपनी संगठन क्षमता को उन्होंने साबित भी किया है। स्वतंत्रदेव सिंह वह नेता हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2014 को बुंदेलखंड के जिले महोबा में पीएम नरेंद मोदी की एतिहासिक रैली करवाई थी। बताया जाता है कि उस रैली में इतनी भीड़ थी कि यह देख नरेंद्र मोदी ने मंच से स्वतंत्रदेव व उनकी टीम की पीट थप थपाई थी।
RSS के जरिए राजनीति में आए
स्वतंत्र देव सिंह पिछड़ी जाति से आते हैं। आरएसएस स्वयंसेवक रहे स्वतंत्र देव सिंह की छवि काफी ईमानदार है।इतने सालों से राजनीति में रहे स्वतंत्र देव के पास संपत्ति के नाम पर एक ही दोपहिया वाहन है। स्वतंत्र देव सिंह के बारे में बताया जाता है कि वह विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी की रैली को सफल बनाने के लिए शहरों में जाकर वहीं काम जमीन में जुड़कर काम करने लगते थे। स्वतंत्रदेव सिंह बूथ से लेकर मंडल स्तर तक के कार्यकर्ताओं की जानकारी रखते हैं। जानकारों की मानें तो चुनाव के वक्त स्वतंत्र देव सिंह की बैठक में सभी कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों को पूरी तैयारी के साथ जाना होता है। वह किसी से भी बूथ स्तर तक की जानकारी मांग सकते हैं। उनकी कार्यशैली के हिसाब से वह पीएम मोदी को काफी जंचते हैं।
स्वतंत्रदेव सिंह का सियासी सफर
स्वतंत्रदेव सिंह 1986 में आरएसएस प्रचारक बने। 1988-89 में यह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संगठन मंत्री रहे। 1991 भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी बनाए गए। 1994- बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी रहे। 1996 युवा मोर्चा का महामन्त्री इन्हें बनाया गया। 1998 फिर से भाजपा युवा मोर्चा का महामंत्री के पद पर इन्हें बिठाया गया। 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। 2004 विधान परिषद के सदस्य चुने गए। 2004 प्रदेश महामंत्री बनाए गए। 2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामंत्री के पद पर रहे। 2010 प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। 2012 से लेकर 2017 विधानसभा चुनाव तक स्वतंत्रदेव सिंह महामंत्री के पद रहे। 32 साल की सियासी कॅरियर के दौरान इनका कभी किसी से विवाद नहीं हुआ। उरई में आज भी छोटे से मकान में स्वतंत्रदेव सिंह का परिवार रहता है। मंत्री बनने के बाद इन्होंने बीमार रोडवेज में नई जान डाल दी और घाटे की जगह यूपी रोडवेज एक साल के अंदर मुनाफे में ला दिया।
अमित शाह की बैठक की मिली थी जिम्मेदारी
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रूमा में बूथ सम्मेलन कर 2017 का आगाज किया था। इस मौके पर कानपुर-बुंदेलखंड के 12 जिलों की 52 सीटों पर पार्टी को फहत दिलाने के जिए 18 हजार बूथ प्रमुखों को नियुक्त किया गया था। इन्हीं के जरिए भाजपा उम्मीदवारों का चयन सहित अन्य जानकारी लीं और नतीजा ये रहा कि पार्टी ने सपा-बसपा के गढ़ को ध्वस्थ कर 47 सीटों पर कब्जा किया था। पर इस बैठक की पूरी जिम्मेदारी स्वमंत्रदेव सिंह के कंधों पर थी। उन्होंने पूरे छह माह तक 17 जिलों के हर गांव का दौरा किया। बूथ और मंडल स्तर पर कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की। इनके साथ क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह का अहम किरदार रहा। दोनों नेता मीडिया के कैमरों से दूर 24 में 18 घंटे जमीन पर रहकर काम करते थे। इसी के चलते 2019 फतह करने के लिए अमित शाह और पीएम मोदी की टीम में स्वतंत्रदेव सिंह का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है।

 
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