जल में ये सामग्री डालने से होता ये नुकसान
इसलिए अगर भविष्य सुरक्षित रखना है तो कल के भविष्य अर्थात नन्हे मुन्ने बच्चों से इस अभियान की पहल की जाए। इसके लिए उन्होंने सिठमरा स्कूल के बच्चों को साथ मे लेकर जल से भरे तालाब किनारे लेकर पहुंचे और तालाब में स्वयं उतरकर बच्चों को बताया जल संरक्षण का महत्व बताते हुए कहा कि जल है तो कल है,, जल बिन जीवन कहाँ है जनाब, शरीर में एक प्रतिशत जल की कमी पर प्यास लगती है। पाँच प्रतिशत जल की कमी पर त्वचा और जीप सिकुड़ने लगती हैं। वहीं 15 प्रतिशत जल की कमी पर मौत हो जाती है। उन्होंने आगे बताया कि जल में पूजा की राख और फूल डालने से पूजन सामग्री टकराती है, जिससे जल में आक्सीजन की कमी हो जाती है इसके परिणाम स्वरूप जलीय जीव मर जाते हैं। इससे पुण्य की जगह पाप लगता है।
जलपुरुष ने जीवन के लिए जल का महत्व बताया
जलीय जीवन के लिए चार मिली प्रति लीटर आक्सीजन होनी ही चाहिए। कछुआ, मछली, मेंढक, केकड़ा की संख्या बहुत तेजी से गिरी है, जिसका प्रमुख कारण जल स्रोतों में गंदगी डालना व कीटनाशकों का खेतों से बहकर जल स्रोत में जाना है। आगे जल को बर्बाद या नष्ट करने पर कानून का पाठ पढ़ाते हुए बताया कि जल संरक्षण एक्ट 1974 की धारा 41 से जल स्रोत को किसी भी तरह से मलिन करने पर दस हजार रुपये जुर्माना व 6 वर्ष जेल से दंडनीय अपराध है। आज हम जमीन के तीसरे स्टेटा से जल ले रहे हैं, जो एक हजार साल में रिचार्ज होता है। गैबियन बांध, कंटूर बांध, गली प्लग बांध, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग से धरती माता को रिचार्ज किया जा सकता है। वर्षा से मिली बूंद को धरती माता के गर्भ में सहेज कर रखना पुनीत कार्य हैं। इसके बाद तालाब किनारे पहुंचे बच्चों ने उनके साथ जल संरक्षित करने के लिए संकल्प लिया और कहा कि हम शपथ लेते है कि हम सब मिलकर जल को नष्ट होने से बचाने का प्रयास करेंगे। घरों में मोटर, समर्सिबल का उपयोग काम करेंगे, जिससे जल का दोहन न हो। घरों में जल को संरक्षित करेंगे और रैलियां निकालकर एवं घर घर जाकर अन्य लोगो को जागरूक करेंगे, जिससे हम जीवन सुरक्षित कर सकेंगे।