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Nagpanchami 2019 : इस मंदिर में आते ही सर्पदंश पीड़ित का धड़कने लगता दिल

locationकानपुरPublished: Aug 04, 2019 12:19:23 am

Submitted by:

Vinod Nigam

कानपुर-हमीरपुर सरहद पर स्थित टोडरपुर गांव में बना है नागदेवता का मंदिर, मान्यता है कि सांप के डंसने के बाद पीड़ित हो जाता है ठीक।

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Nagpanchami 2019 : इस मंदिर में आते ही सर्पदंश पीड़ित का धड़कने लगता दिल

कानपुर। कहते हैं, यदि कोबरा Cobra डस ले तो इंसान की मौत तय मानी जाती है, लेकिन कानपुर और हमीरपुर सरहदKanpur and Hamirpur border के बीच एक नागमंदिर Nagmandir स्थापित है। यहां कोई भी व्यक्ति सर्पदंश Snake bite के बाद लाया जाता है तो नागदेवता Naagdevata की कृपा से चंद मिनट में ठीक हो जाता है। दावा तो यहां तक किया जाता है कि मौत के बाद भी इंसान की सांस वापस आ जाती है। हलांकि इसके वास्तुविक प्रमाण मंदिर प्रबंधक के पास नहीं हैं। नागपंचमी Nagapanchami के दिन यहां भव्य मेला Grand fair लगता है और देश के कोने-कोने से सपेरे सांपों को लेकर आते हैं और मंदिर को सजाते हैं।

हरदिन होती थी सर्पदंश से मौत
टोडरपुर गांव Todarpur Village स्थित नागमंदिर Nagmandir के पुजारी लाखन प्रजापति Pujaaree laakhan prajaapati बताते हैं कि आज से करीब 22 साल पहले आसपास के गांवों में विषैले कोबरा सहित अन्य सांपों का ढेरा हुआ करता था। हरदिन सर्पदंश से महिला, पुरूष, बच्चे और मवेशियों की मौत होती थह। जिससे दर्जनभर गांव के ग्रामीण खौफदजा था। कईयों ने गांव छोड़कर शहर में शरण ले ली। इसीबीच टोडरपुर में बुजुर्ग संपेरा आया और उसने ग्रामीणों से कहा कि यदि आप गांव में नागदेवता के मंदिर का निर्माण करवा दे तो सांप विलुप्त हो जाएंगे। सपेरा ये शब्द कह कर आंखों से ओझल हो गया। सपेरे की बात मानकर ग्रामीणों ने चंदा कर भव्य नागमंदिर का निर्माण कराया।

एक भी इंसान की नहीं हुई मौत
पुजारी लाखन प्रजापति बताते हैं कि नागदेवता की मूर्ति जयपुर से खरीदकर लाई गई। जिसका एक हिस्सा जमीन के नीचे तो आधा ऊपर है। सावन माह के दौरान सैकड़ों भक्त नागदेवता की अराधना करने के लिए आते हैं। पुजारी बताते हैं कि जिस दिन मंदिर के अंदर नागदेवता का मूर्ति विस्थापित हो गई, उस वक्त के बाद पिछले 22 सालों से एक भी व्यक्ति की मौत सर्पदंश से नहीं हुई। इतना ही नहीं, गांव में सांप पूरी तरह से गायब हो गए।

सर्पदंश के मरीज होते हैं ठीक
पुजारी लाखन प्रजापति ने बताया कि कानपुर, फतेहपुर, छतरपुर, महोबा, बांदा चित्रकूट के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से सर्पदंश के मरीज आते हैं। नागदेवता के चरणों में उसे लिटा दिया जाता है। चंद मिनट के बाद सर्पदंश का शिकार इंसान ठीक हो जाता है। पुजारी के मुताबिक जो भी सर्पदंश का पीड़ित नागदेवता की शरण में आने के बाद ठीक होकर यहां से जाता है तो उसका नाम-पता बकाएदा रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। 2018 से लेकर 2019 तक 100 सर्पदंश के शिकार लोग यहां आए हैं।

मन्नत करते हैं पूरी
गांव में रहने वाले सुरेश सिंह व ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि नाग देवता के इस मंदिर में पांच अगस्त को नागपंचमी के पर्व पर भव्य मेला लगेगा, जो दो दिन तक चलेगा। मंदिर में पुजारी भी दरबार लगायेंगे। पुजारी लाखन प्रजापति ने बताया कि नागपंचमी पर्व को लेकर मंदिर को सजाया जा रहा है। मंदिर परिसर को भी चाक चौबंद किया जा रहा है। कहते हैं, नागपंचमी के दिन नाग देवता के लिए दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं। पत्थर के नाग देवता पर दूध अर्पित कर जो भी मन से मांगता है उसकी मन्नत जरुर पूरी होती है।

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