सीए राजीव मेहरोत्रा ने कहा कि बेनामी एक्ट में धाराएं आठ गुना बढ़ गई हैं। एक्ट में संशोधन 2016 में किया गया है लेकिन अधिनियम के प्रमुख हिस्से को 1988 से लागू किया गया है, जो बहस का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि बेनामी एक्ट को लेकर जागरूक करने की जरूरत है। अनजाने में प्रापर्टी जब्त हो सकती है और जेल जाना पड़ सकता है।
अगर किसी प्रॉपर्टी को दूसरे के नाम ट्रांसफर कर दिया जाए लेकिन उसके दस्तावेज उचित अधिकारी के पास पंजीकृत न हों, तो लेनदेन को बेनामी माना जाएगा। बेनामी एक्ट में सभी प्रकार की चल-अचल संपत्ति आती हैं, जिसमे दावे भी शामिल हैं। जब कोई व्यक्ति अघोषित आय से चल-अचल संपत्ति किसी दूसरे के नाम पर खरीदता है, तो ऐसी संपत्तियों पर बेनामी एक्ट लागू होता है। जैसे यदि कोई बिल्डर पूरा मूल्य लेता है और कब्जा बिना पंजीकृत सेल डीड के देता है या सेल डीड निष्पादित नहीं है तो ऐसी संपत्ति बेनामी मानी जाएगी।
बेनामी संपत्ति का दोषी पाए जाने पर सात साल तक जेल हो सकती व संपत्ति की बाजार कीमत का 25 प्रतिशत जुर्माना लग सकता है। इसको अलावा आयकर विभाग को गलत सूचना देने पर पांच वर्ष का कारावास और संपत्ति की कीमत का 10 प्रतिशत जुर्माने के तौर पर लिया जा सकता है। पिछले एक साल में सरकार बेनामी संपत्तियों पर खास ध्यान दे रही है और सख्त कार्यवाही शुरु कर दी है।