आल इंडिया मजलिस इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) का प्रदेश सम्मेलन कानपुर में हुआ। यहां यूपी के पार्टी अध्यक्ष शौकत अली ने भाग लिया। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम निकाय चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ने जा रहे हैं। सूबे का एक तबका आजादी के सत्तर साल बीत जाने के बाद भी बदहाली का जीवन जी रहा है। जब हम इनके लिए आवाज उठाते हैं तो फिरका परस्त ताकतें, तीन तलाक, वंदे मातरम के साथ सांप्रदायिक महौल खराब कर मुद्दे को भटका देते हैं। शौकत अली ने योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि हिन्दू यूवा वाहिनी के कार्यकर्ता गोरक्षा के नाम पर लोगों का कत्ल के साथ ही प्रदेश में साप्रदायिक दंगे करवा रहे हैं।
25 से 30 वार्डों पर एआईएमआईएम की नजर
कानपुर के 110 वार्डों में से 25 से 30 ऐसे वार्ड हैं, जहां सीधे मुस्लिम मतदाता हार-जीत तय करते हैं। ऐसे में एआईएमआईएम की नजर इन्हीं वार्डों पर है। शौकत अली ने जिलाध्यक्ष के साथ ही संगठन के अन्य पदाधिकारियों से पार्षद पद के दावेदारों के नामों का चयन जल्द से जल्द कर लिस्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास पहुंचाने को कहा है। शौकत अली ने बताया कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी निकाय चुनाव के दौरान कानपुर में रैली करने को आएंगे। पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव के जरिए अपनी बात लोगों तक पहुंचाएं। जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव के दौरान ओवैसी की रैली में जबर्दस्त भीड़ जमा हुई थी और उनके फॉलोवर बढ़ रहे हैं। आने वाले समय में सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए ओवैसी बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
मेयर पद के लिए कैंडिडेट के नाम का करें चयन
शौकत अली ने सम्मेलन में शामिल हुए पार्टी नेताओं को संदेश दिया कि उनकी पार्टी प्रदेश में निकाय चुनाव बिना किसी पार्टी से गठबंधन किए लड़ेगी। इसके लिए सभी नेता संगठन स्तर पर मजबूत पार्षद प्रत्याशी तलाश करें। उन्हें टिकट दिलाएं। मेयर पद के प्रत्याशी का चयन आला कमान की सहमति पर किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारे कथित सेकुलरवादी नेता चुनाव के दौरान फिर वही राग गाएंगे कि हम संघ व भाजपा से मिले हैं और मुस्लिम मतों का बंटवारा कर भाजपा को जिताने के लिए काम कर रहे हैं। पर वो बताएं कि यूपी में कांग्रेस-सपा एकसाथ चुनाव लड़ा और हार गए। शौकत अली ने कहा कि मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि जिन लोगों नें वोट देकर सरकार बनाई है, अब वह ठगा महसूस कर रहे हैं। जीएसटी के मुद्दे पर व्यापारी परेशान हैं। सरकार अब अपने कदम पीछे कर रही है।