मायावती ने डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ को कर्नाटक की सौंपी थी जिम्मेदारी, पहली बार दक्षिण में जीता हाथी
कानपुर। कर्नाटक चुनाव से पहले फर्रूखाबाद निवासी अशोक सिद्धार्थ को
मायावती ने यहां का बसपा प्रभारी बनाया गया। मायावती के इस खास रणनीतिकार ने कर्नाटक की धरती पर हाथी को दौड़ाने और भाजपा को पटखनी देने के लिए व्यूहरचना तैयार की। तीन माह तक बेंगलुरू में रूककर जेडीएस के नेताओं से संपर्क बनाया और मतगणना के बाद जैसे ही भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो पार्टी सुप्रीमो को फोन घुमाकर सोनिया गांधी से बात करने को कहा। मायावती ने सोनिया को गठबंधन के लिए तैयार किया और बुधवार को कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इस सरकार में बसपा के एक विधायक को भी मंत्री बनाए जाने की बात जोरों पर चल रही है। बसपा प्रभारी अशोक सि़द्धार्थ ने कहा कि मंत्रिमंडल में किसे रखना है यह अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है। हा अगर पार्टी के विधायक कर्नाटक सरकार में मंत्री बनाया जाता है तो यह बहुत खुशी की बात होगी।
BSP ने पहली बार खोला खाताकर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद से चल रहा हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद खत्म हो गया। राज्य में अब कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बनने जा रही है। 23 मई को जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के नेता एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। पत्रिका से खास बातचीत के दौरान राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ ने बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह और उनकी पूरी टीम विपक्ष के विधायकों को खरीदने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन कामयाब नहीं हुए। कांग्रेस, जेडीएस, बसपा और निर्दलीय विधायक संप्रदायिक ताकतों के बजाए सेकुलरदल के साथ मतबूती के साथ खड़े रहे। डॉक्टर सिद्धार्थ ने बताया कि पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और पहली बार कर्नाटक में बसपा का खाता खुला। साथ ही पार्टी का वोट प्रतिशत भी बढ़ा है।
राजस्थान-एमपी में भी देंगे पटखनीसांसद अशोक सिद्धार्थ को कर्नाटक के साथ ही कई राज्यों प्रभारी बनाया गया है। इस पर डॉक्टर सिद्धार्थ ने बताया कि कर्नाटक के विजयरथ को आगे बढ़ाने के लिए मायावती का काफिला अब राजस्थान और मध्यप्रदेश की तरफ बड़ेगा। विपक्षी दल एक साथ चुनाव में आते हैं तो यहां भी हम भाजपा के किले को ढहा देंगे। डॉक्टर सिद्धार्थ ने बताया कि राजस्थान में दलित, पिछड़ों और मुस्लिम समाज के साथ वहां की सरकार भेदभाव कर रही है। जनता चुनाव का बेसब्री से इंतजार कर रही है और हमें सौ फीसदी उम्मीद है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार हट जाएगी। अशोक सिद्धार्थ ने बताया कि कर्नाटक में मतगणना के बाद वो 25 घंटे हम जीवन भर नहीं भूल सकते। किस तरह से भाजपा के नेताओं ने विधायकों को तोड़ने के लिए तल,मन और धन लगा पर कामयाब नहीं हो पाए।
मायावती के कहने पर छोड़ दी थी नौकरीबहुजन समाज पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशी डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ ने फर्रुखाबाद जिले के गुरसहायगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनाती के दौरान मायावती के निर्देश पर वर्ष 2008 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति शुरू की और 2009 में विधानपरिषद के सदस्य बन गए। कायमगंज के पटवन गली निवासी डॉक्टर सिद्धार्थ ने मेडिकल कालेज झांसी से आर्थोमेट्री डिप्लोमा प्राप्त किया है। सरकारी सेवा के दौरान बामसेफ से जुड़े रहे और इन दिनों वह बुंदेलखंडक्षेत्र के झांसी, चित्रकूट मंडल के साथ ही कानपुर मंडल के जोनल कोआर्डीनेटर के रूप में कार्य कर रहें है। बसपा प्रमुख ने अशोक सिद्धार्थ को कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल तथा पुडुचेरी राज्य का स्टेट कोआर्डिनेटर का दायित्व भी सौंप रखा है। 51 वर्षीय डॉक्टर सिद्धार्थ की पत्नी सुनीता वर्ष 2007 से 2012 तक राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ मीडिया के कैमरों के बजाए परदे के पीछे बसपा की रणनीति तैयार करते हैं। राज्यसभा सांसद सतीश मिश्रा के बाद बसपा में अशोक सिद्धार्थ की गिनती नंबर तीन के नेता के रूप में होती है।
मायावती-अखिलेश होंगे शामिल विपक्ष की ये एकता बुधवार को कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथ में भी दिख सकता है। इस समारोह में राहुल गांधी, सोनिया गांधी,
ममता बनर्जी , मायावती,
अखिलेश यादव , तेजस्वी यादव,
शरद पवार , मायावती, टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेता शामिल हो सकते हैं। यूपी की 80 सीटों पर कांग्रेस, बसपा और सपा गठबंधन कर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस साथ ही लड़ी थी। कैराना उपचुनाव में लोकदल प्रत्याशी को समर्थन दिया है। डॉक्टर सिद्धार्थ ने बताया कि बसपा सुप्रीमो को कुमारस्वामी ने आमंत्रण पत्र दिया है और वो कुमारस्वामी के शपथ समारोह में आने की हामी भर दी है। साथ ही सपा के राष्ट्रीष् अध्यक्ष भी शपथ समारोह में जाएंगे, इसकी पुष्टि प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने की है। बतादें पूर्व पीएम देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी दूसरी बार सीएम बन रहे हैं. इसके पहले वह 4 फरवरी 2006 को बीजेपी के समर्थन से सीएम बने थे। 20 महीने बाद उनकी सरकार गिर गई थी। कर्नाटक के रण में भाजपा को मात देने के बाद विपक्ष शपथ के दौरान अपनी ताकत दिखाने के साथ ही 2019 में भाजपा को हराने के लिए एक साथ आ सकता है