खड़ाऊ की सुनाई देती है आवाज
शिवराजपुर Shivarajpur स्थित गंगा तट किनारे बनें खेरेश्वर धाम Khereshwar dham में भक्तों का इनदिनों तांता लगा है। देश ही नहीं विदेश से भी बड़ी संख्या में भक्त आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर मन्नत मांग रहे हैं। मान्यता है कि द्रोण पुत्र अश्वस्थामा Ashvashtama सावन माह Sawan 2019 के दौरान मंदिर परिसर पर रहते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करते हैं। पुजारी के मुताबिक सुबह के वक्त एक व्यक्ति अचानक तेज रौशनी के साथ प्रकट होता है, खड़ाऊं की आवाजें आने लगती हैं और फिर अचानक सन्नाटा छा जाता है। कईलोगों का दावा है कि उन्होंने अश्वस्थामा को देखा है।
8 फुट लंबे हैं अस्वस्थामा
शिवराजपुर निवासी प्यारेलाल तिवारी (95) ने दावा किया है कि वे 36 पीढ़ियों से एक ऐसे इंसान को देख रहे हैं जो आठ फुट लंबा है। नजदीक जाने पर ये इंसान तेज रौशनी के साथ कहीं ओझल हो जाता है। मंदिर के महंत, पुजारी और गांव वालों का ऐसा दावा है कि सावन के पहले सोमवार के दिन खेरेश्वर मंदिर में सबसे पहले खुद अश्वत्थामा महादेव को जल चढ़ा गए हैं। शिवलिंग के आसपास पानी की छीटें भी पड़ी हैं। हालांकि इसे कुछ लोग केवल आस्था से जुड़ा एक विषय ही मानते हैं। इसकी प्रमाणिकता अभी तक नहीं हो पाई है कि अश्वत्थामा क्या वाकई में जिंदा है।
अश्वस्थामा का मंदिर
खेरेश्वर धाम से करीब 100 मीटर की दूरी पर अश्वत्थामा का मंदिर भी बना है। गांव के लोग अश्वत्थामा को देव के रूप में पूजते हैं। मंदिर के आसपास रहने वाले पुजारी केशव प्रसाद शुक्ल, सरस्वती देवी और मधुबाला ने बताया कि उन्होंने कई बार सफेद लिबास में लंबे चौड़े इंसान को मंदिर आते-जाते देखा है। कुछ पूछने पर वह नहीं बोलता और तेज रोशनी के साथ गायब हो जाता है। इस मामले पर जब हमनें प्रोफेसर पंडित बलरात तिवारी से बात की तो उन्होंने बताया कि भारतीय पौराणिक मान्यता के अनुसार आठ चिरंजीवी- बलि, वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, मारकण्ये ऋषि, परषुराम, अश्वस्थामा हैं, अमर हैं।
इसके कारण कर रहे तप
पंडित बलराम तिवारी बताते हैं कि यह कौरव और पाण्डवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वस्थामा थे। महाभारत के युद्ध में कौरवों की ओर से जंग लड़ी थी। अश्वस्थामा ने पाण्डव पुत्रों की हत्या उस समय की थी जब वह सो रहे थे। इसने ब्रह्माशास्त्र से उत्तरा के गर्भ को भी नष्ट कर दिया था। गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या से क्रोधित होकर श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को भयानक शाप दिया, तभी से वह श्रृप से मुक्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या कर रहा है। बलराम तिवारी कहते हैं कि खेरेश्वर धाम में अश्वस्थामा आते हैं य नहीं, इसके अभी तक सही प्रमाण नहीं मिले।