कानपुर

नहीं रहा बीजेपी का वटवृक्ष, कानपुर में शोक की लहर

एम्स के डॉक्टर ने शाम को दी जानकारी, पूरे देश में शोक, बीजेपी के नेता दिल्ली रवाना

कानपुरAug 16, 2018 / 06:37 pm

Vinod Nigam

नहीं रहा बीजेपी का वटवृक्ष, कानपुर में शोक की लहर

कानपुर। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरूवार की शाम दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन की खबर जैसे ही कानपुर आई तो पूरा शहर रो पड़ा। डीएवी कॉलेज के छात्र, टीचर, नेता य प्रजा सबके आंखों से आंसू छलक रहे हैं। अपने पितामह के इस दुनिया से चले जाने के चलते बीजेपी नेता फूट-फूट कर रो रहे। सांसद डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, सत्यदेव पचौरी, सभी विधायक, संगठन व आरएसएस के बड़े-बड़े नेता अटल जी के पार्थिक शरीर को देखने के लिए दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

शाम को ली आखरी सांस
बीजेपी के कद्दावर नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का लंबी बीमारी के चलते आज दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। हालग गंभीर होने की जानकारी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एम्स पहुंचकर उनका हाल जाना था।. एम्स की ओर से शाम 5.30 बजे जारी नए मेडिकल बुलेटिन में अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की जानकारी दी गई। यह खबर जैसे कानपुर पहुंची लोग फूट-फूट कर रो पड़े। कैबिनेट मंत्री सतीश महाना जो दिल्ली के लिए रवाना हो गए, उन्होंने बताया कि आज देश पे अनमोल धरोहर खो दी। अटल जी जब तक जिए सबके दिल में रहे। उनके जाने से देश, समाज और पार्टी को अघात लगा है। वहीं नगर अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी भी अपने नेता के पार्थिक शव को देखने के लिए दिल्ली के लिए निकल गए हैं। . अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के चलते भारतीय जनता पार्टी ने देशभर में अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए। इसके अलावा बीजेपी शासित राज्यों की प्रदेश सरकारों ने सभी सरकारी कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया।

इस बीमारी से गृसित थे अटल जी
अटल बिहारी वाजपेयी डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और 2009 से ही व्हीलचेयर पर थे। कुछ समय पहले भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। अटल बिहारी वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वो बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं। 25 दिसंबर, 1924 में जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा था। अटल जी का लगाव कानपुर से बहुत गहरा था। वो अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की और यहीं से आरएसएस में जुड़े। राजनीति की शिक्षा और दिक्षा अटल जी ने कानपुर से ली।

बिना कुछ बताए दिल्ली रवाना
नमामि गंगे योजना के तहत कानपुर आए सांसद डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी हर दिन अधिकारियों के साथ बैठक कर कानपुर को विकास के पथ में ले जाने के लिए रणनीति बना रहे थे। सुबह से लेकर शाम तक वो लोगों से मिलते तो सांसद कोष से कराए गए निर्माण कार्यो की मौके पर जाकर निरीक्षण कर रहे थे। लेकिन गुरूवार को जब वो अथर्टन मिल का निरीक्षण कर रहे थे, तभी उनके मोबाइन पर एक कॉल आई तो उन्होंने अपनी कार बुलवा ली। बिना किसी से कुछ बोले सीधे लखनऊ के लिए रवाना हो गए और वहां से फ्लाइट के जरिए दिल्ली के लिए रवाना हो गए। सांसद के एकाएक दिल्ली जाने से भाजपा नेता भी बेचैन दिखे और डॉक्टर जोशी ने एक भाजपा नेता को अटल जी के गुजर जाने की बात बता जल्द दिल्ली पहुंचने को कहा था।

मूसा की इबादत भी नहीं आई काम
बजरिया निवासी मूसा खां को जब सुबह अटल जी की तबियत बिगड़ने की खबर मिली तो वो अपने पिता के साथ मस्जिद गए और उनके स्वस्थ होने के लिए दुआ मांगी। मुसा ने बताया कि हमारे दादा अटल जी के बहुत करीबी थे। जब अटल जी प्रधानमंत्री बनें तो दादा फारूखी उनसे मिलने के लिए दिल्ली गए। दादा की मौत के बाद पिता ने भाजपा का दामन नहीं छोडा और एक छोटे से कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए जुटे रहे। अब पिता की जिम्मेदारी हम निभा रहे हैं। मूसा बताते हैं कि मुरिलम बाहूल्य वार्ड से कोई भी व्यक्ति पार्षद का चुनाव बीजपी के निशान से लड़ने को तैयार नहीं था। महिला सीट होने के चलते हमने अपनी भाभी को चुनाव के मैदान में उतरा। सपा के बाद बीजेपी हमारे वार्ड से दूसरे नंबर पर रही। अटल जी एक एक महान नेता और गरीबों के मसीहा थे।

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