1999 में दिया था पुरूस्कार
ग्वालटोली निवासी डॉक्टर हेमन्त मोहन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्कूल से बारवीं में 88 फीसदी अंक लाकर कानपुर टॉप किया था। स्कूल प्रशासन की मांग कर अटल जी 1999 में 13 दिन की सरकार गिर जाने के बाद तीसरे दिन शहर पहुंचे थे। हेमन्त बताते हैं कि अटल जी ने हमारे अलावा अन्य छात्रों को पुरूस्कार दिया और कहा कि जीवन में कठिनाईयां आएंगी, पर हार नहीं मानना। खुद के बनाए रास्ते पर इमानदारी से चलना। अगर आपने सपने देखें हैं तो उन्हें पूरा करना। क्योंकि जो सपने देखता है वही मंजिल तक पहुंचता है। अटल जी ने हमें अकेले में बुलाकर फोटो खिचवाई और कहा कि हेमन्त तुम क्या बनना चाहते हो। तो हमने कहा सर आईएएस में जाकर देश सेवा करना चाहता हूं। जिस पर अटल जी ने कहा था कि आज देश को कलेक्टर, इंजीनियर के बजाए डॉक्टर व मास्टर की ज्यादा अवश्यकता है। फिर क्या था हमने अटल जी की बात मानते हुए अपनी डगर बदल ली और डॉक्टर बन कर लोगों को इलाज कर रहा हूं।
एलोपैथिक छोड़ होमोपैथिक के बनें डॉक्टर
हेमन्त बताते हैं कि हमने अटल जी के सपने को पूरा करने के लिए मेडिकल की पढ़ाई की और हमारा सिलेक्शन भी एमबीबीएस में हो गया। लेकिन उस वक्त देश, प्रदेश व कानपुर में होमोपैथिक के डॉक्टर्स बहुत कम थे। इसी के चलते हमने होमोपैथिक की तरफ अपने दकम बढ़ा दिए। पढ़ाई पूरी करने के बाद हम गरीब लोगों को कम कीमत पर अच्छा इलाज मुहैया करा रहे हैं। रविवार को एक गांव का दौरा करते हैं और वहां कैम्प लगाकर ग्रामीणों का मुफ्त में इलाज कर उन्हें सवंमित बीमारियों की रोकथाम के घरेल नुख्शे भी बताते हैं।
अटल जी ने बुलाया था दिल्ली
हेमन्त मोहन बताते हैं कि जब अटल जी 1999 में चुनाव के बाद देश के प्रधामंत्री बनें तो उन्होंने मेयर प्रमिला पांडेय के जरिए हमें संदेश भिजवाया। हम उनके बुलावे पर दिल्ली गए। उन्होंने कहा कि देखों हेमन्त मोहन हमें जनता ने काम का इनाम दिया और दिल्ली की कुर्सी पर बैठा दिया। तो हमने भी उनसे कहा, सर आप के सपने को पूरा करने के लिए ये जीवन गरीबों के नाम पर कर दिया। लोगों को कम पैसे में ठीक कर रहा हूं। जिस पर उन्होंने हमारी पीट थप-थपाई और कहा कि देश को तुम जैसे युवाओं की बहुत जरूरत है। अटल जी ने हमें एक कलम भी दी थी और कहा था कि कभी कोई समस्या आए तो इसी कमल के जरिए पत्र लिखकर हमें बताना।
अस्थि कलश को देख भावुक हुए हेमन्त
डॉक्टर हेमन्त मोहन सुबह से जाजमऊ पहुंच गए थे। यहां सैकड़ों लोक अपने प्रिय नेता की अस्थि कलश को देखने के लिए मौजूद थे। हेमन्त ने बताया कि यह भीड़ अटल जी के चलते कई-कई किमी की दूर से आई है। इनमें से ऐसे दर्जनों लोग हैं, जो अटल जी से व्यक्तिगत रूप से परचित हैं। हमन्त बताते हैं कि अटल जी का कानपुर से बहुत गहरा लगाव था। वो जब भी शहर आते तो यहां के नेताओं के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकर बंद मिलों को शुरू कराए जाने के अलावा गंगा व प्रदूषण को लेकर उनके साथ चर्चा करते। हेमन्त कहते हैं कि अगर अटल जी 2004 में चुनाव जीत जाते तो कानपुर एशिया का शेर फिर से कहलाता। उनका सपना था कि कानपुर फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो। लेकिन राजनीतिक उपेक्षा के चलते ऐसा नहीं हो सका।