सिक्योरिटी फीचर को भेदा
जालसाजों ने अभेद्य माने जाने वाले सिक्योरिटी फीचरों में भी सेंध लगा दी है। पिछले एक साल में 500 और 2000 के नोटों की नकल की गई है। जाली नोट में पहली बार ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल किया गया है। यह खास स्याही दो हजार के नोट के धागे पर लगाई जाती है। इसकी खासियत है कि यह नोट पर हरे रंग की दिखाई देती है। नोट को ऊपर-नीचे करने पर स्याही का रंग बदलकर नीला हो जाता है। पहले पकड़े गए जाली नोटों की खेप में इस इंक का इस्तेमाल नहीं हो रहा था।
जालसाजों ने अभेद्य माने जाने वाले सिक्योरिटी फीचरों में भी सेंध लगा दी है। पिछले एक साल में 500 और 2000 के नोटों की नकल की गई है। जाली नोट में पहली बार ऑप्टिकल वेरिएबल इंक का इस्तेमाल किया गया है। यह खास स्याही दो हजार के नोट के धागे पर लगाई जाती है। इसकी खासियत है कि यह नोट पर हरे रंग की दिखाई देती है। नोट को ऊपर-नीचे करने पर स्याही का रंग बदलकर नीला हो जाता है। पहले पकड़े गए जाली नोटों की खेप में इस इंक का इस्तेमाल नहीं हो रहा था।
उभरी लाइनें भी नकली नोट पर
असली और नकली में फर्क के लिए दो हजार के नोट के दोनों तरफ लाइनें हैं जो हल्की से उभरी हुई हैं। इन्हें ब्लीड-लाइन कहते हैं। ये सात लाइनें खास तौर पर नेत्रहीनों को नोट की पहचान कराती हैं। अत्याधुनिक टेक्नोलाजी के दम पर नोट को गोल करने पर भी इन लाइनों को बिल्कुल सीध में करीब-करीब मिला सकते हैं। भारतीय नोट के निचले हिस्से में दाईं तरफ छपे सीरीज नंबर की भी नकल कर ली गई है।
असली और नकली में फर्क के लिए दो हजार के नोट के दोनों तरफ लाइनें हैं जो हल्की से उभरी हुई हैं। इन्हें ब्लीड-लाइन कहते हैं। ये सात लाइनें खास तौर पर नेत्रहीनों को नोट की पहचान कराती हैं। अत्याधुनिक टेक्नोलाजी के दम पर नोट को गोल करने पर भी इन लाइनों को बिल्कुल सीध में करीब-करीब मिला सकते हैं। भारतीय नोट के निचले हिस्से में दाईं तरफ छपे सीरीज नंबर की भी नकल कर ली गई है।
दो लाख से ज्याद नकली नोट मिले
बाजार में चल रहे नकली नोटों ने इस हद तक असली नोटों की कॉपी कर ली है कि बैंक भी घोखा खा रहे हैं। इसका प्रमाण यह है कि पिछले दो साल में बैंकों ने रिजर्व बैंक के खजाने में दो लाख से ज्यादा नकली नोट पहुंचा दिए। वहां करेंसी वेरीफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम ने इन्हें पकड़ा। चूंकि नकली नोट का कोई मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे बदला भी नहीं जा सकता।
बाजार में चल रहे नकली नोटों ने इस हद तक असली नोटों की कॉपी कर ली है कि बैंक भी घोखा खा रहे हैं। इसका प्रमाण यह है कि पिछले दो साल में बैंकों ने रिजर्व बैंक के खजाने में दो लाख से ज्यादा नकली नोट पहुंचा दिए। वहां करेंसी वेरीफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम ने इन्हें पकड़ा। चूंकि नकली नोट का कोई मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे बदला भी नहीं जा सकता।