हैलट और दूसरे कोविड अस्पतालों में भर्ती रोगियों की सीटी स्कैन रिपोर्ट से पता चल रहा है कि नया स्ट्रेन में फेफड़ों के एयर चैंबर सिकुड़ जा रहे हैं। इससे फेफड़ों से पुरानी कार्बन डाईऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाती। फेफड़ों में बहुत तेजी से फाइब्रोसिस होती है। इसी से रोगी के शरीर का ऑक्सीजन लेवल बहुत तेजी से गिरता है। ऑक्सीजन सपोर्ट देने के बाद भी स्थिति सुधर नहीं पाती। विशेषज्ञों की सलाह है कि ऐसी स्थिति में तुरंत इलाज शुरू करा दें, जिससे फाइब्रोसिस पर नियंत्रण की कोशिश की जा सके। देर होने पर मुश्किल हो जाती है।
अजीतगंज की रहने वाली 37 साल की महिला को 26 अप्रैल को हल्की सी दिक्कत महसूस हुई। ऑक्सीजन सेच्युरेशन 95 से अधिक था। 27 अप्रैल की सुबह ऑक्सीजन सेच्युरेशन 90 के आसपास आया और रात को लुढ़ककर 75 पर आ गया। 28 अप्रैल की सुबह ऑक्सीजन सेच्युरेशन 70 पर आ गिरा और कुछ देर के बाद मौत हो गई। इस केस में शुरुआत में तेज खांसी, बुखार जैसे लक्षण नहीं आए। यह केस बानगी है, लेकिन ऐसी ही हालत ज्यादातर रोगियों की है, जो कोरोना के नए स्ट्रेन की चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पहली लहर में कोरोना से फेफड़ों की हालत जो एक महीने में होती थी, वह अब तीन दिन में ही हो जा रही है।