script१५ को पूरे दिन रहेगा सौभाग्य और शोभन योग, सुबह ५.५३ से शाम ५.५८ तक बहनें बांधेंगी राखी | Auspicious time for Raksha Bandhan for the whole day on August 15 | Patrika News

१५ को पूरे दिन रहेगा सौभाग्य और शोभन योग, सुबह ५.५३ से शाम ५.५८ तक बहनें बांधेंगी राखी

locationकानपुरPublished: Aug 13, 2019 01:49:30 pm

दोपहर १.४३ से शाम ४.२० का समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पूजन में रोली के बजाय हल्दी और चूने का प्रयोग करें

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१५ को पूरे दिन रहेगा सौभाग्य और शोभन योग, सुबह ५.५३ से शाम ५.५८ तक बहनें बांधेंगी राखी

कानपुर। इस बार रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का कोई झंझट नहीं होगा। इस बार पूर्णिमा तिथि पूरे दिन रहेगी और सौभाग्य और शोभन योग में बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर राखी बांधेंगी। रक्षाबंधन में दो दिन शेष बचे हैं, इसे देखते हुए शहर में रक्षाबंधन की तैयारियां तेज हो गई हैं।
इस बार भद्रा की नजर नहीं
पं. मनोज कुमार द्विवेदी के मुताबिक पंचांग के अनुसार इस बार अनुष्ठान का समय सुबह 05:53 से शाम ०5:58 बजे तक रहेगा। अपराह्न मुहूर्त 1:43 बजे से 4:20 बजे तक महत्वपूर्ण है। रक्षाबंधन में भद्रा की नजर लगने पर राखी बांधने के समय में फेरबदल करना पड़ता है। भद्रा रहित काल में ही राखी बांधने का विधान शास्त्र सम्मत माना जाता है। सौभाग्य से इस बार इस पर्व को भद्रा की नजर नहीं लग रही है। इसके चलते बहनें भाइयों को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच राखी बांध सकती हैं।
पर्व से जुड़ी हैं कई कथाएं
पर्व को लेकर कई प्रथाएं हैं प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार भगवान बामन ने जब तीन पग में धरती नापी थी तो देवताओं की रक्षा हुई थी। उस समय से रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया। एक कथा यह भी है कि भगवान श्रीकृष्ण ने राजा बलि को कलाई में एक धागा बांधकर पाताल लोक में भेजा था, तभी से रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई। द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण को अपना भाई मानती थीं। मान्यता है कि एक बार श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी। इस पर द्रौपदी ने तुरंत अपनी धोती का किनारा फाड़कर कृष्ण के हाथ में बांध दिया था। भगवान ने चीरहरण में द्रौपदी की लाज बचाकर अपना भाई धर्म निभाया था।

हल्दी-चूने का करें प्रयोग
पंडित दीपक पांडे का कहना है पूजन में रोली के बजाय हल्दी और चूने का प्रयोग करें। भाई का फोटो रखकर आरती और तिलक बिल्कुल नहीं करना चाहिए। तिलक करने के समय सिर पर रुमाल या कपड़ा रख लें। राखी न होने पर कलाई सूनी न रखें। मौली ही बांध दें। उन्होंने बताया कि श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन बहनें भाइयों और पुरोहित यजमानों को सूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प लेते हैं। इस बार पूर्णिमा को धनिष्ठा नक्षत्र, सौभाग्य और शोभन योग का महायोग भाई-बहन के प्रेम की गांठ को और मजबूत करेगा। प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार बहनें भाई को रक्षा सूत्र बांधती हैं। शास्त्रों में इस दिन यज्ञोपवीत का पूजन करने का भी महत्व है। इसे स्वाध्याय पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

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