scriptमोदी के स्वच्छता अभियान से जागरूक हुई थी दिव्यांग महिला, आज एक शौंचालय के लिए दर दर की खा रही ठोंकरे | aware from modi handicapped ladies have no lavatory kanpur dehat | Patrika News

मोदी के स्वच्छता अभियान से जागरूक हुई थी दिव्यांग महिला, आज एक शौंचालय के लिए दर दर की खा रही ठोंकरे

locationकानपुरPublished: Sep 16, 2018 12:51:53 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर दिव्यांग महिला ने लगाई थी गुहार। आरोप है कि शौंचालय के नाम पर एक हजार रुपये न देने पर निर्माण सामग्री प्रधान द्वारा उठवा ली।

lavatory

मोदी के स्वच्छता अभियान से जागरूक हुई थी दिव्यांग महिला, आज एक शौंचालय के लिए दर दर की खा रही ठोंकरे

कानपुर देहात-विकास खण्ड रसूलाबाद कानपुर देहात का एक ऐसा मामला सामने आया जिसको देखकर मानवता खुद भी शर्मसार हो जाये। दरअसल मौजमपुर गांव की एक दिव्यांग महिला ने स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर ग्राम प्रधान से शौंचालय की अर्जी लगाई थी। जिस पर उसके घर के बाहर शौंचालय की सामग्री डलवा दी गयी। आरोप है कि जब प्रधान ने शौंचालय के नाम पर दिव्यांग से एक हजार रुपये मांगे तो वह देने में असमर्थ हो गयी, जिस पर प्रधान ने वह निर्माण सामग्री उठवा ली। बेबस दिव्यांग महिला अब तहसील दिवस में शिकायत करने की बात कह रही है।

पूरा मामला विकास खण्ड रसूलाबाद की ग्राम पंचायत मौजमपुर का है, जहां पर एक दिव्यांग महिला को जैसे तैसे शौंचालय की सामग्री तो मिली लेकिन एक हजार रुपये घूँस न दे पाने से उस महिला के दरवाजे से सारी निर्माण सामग्री ही उठवा ली गयी। फिलहाल दिव्यांग महिला शौंच के लिए बाहर जाने को मजबूर है। कई बार कहने के बावजूद वह अभी शौंचालय के लिए तरस रही है। ताज्जुब की बात है कि एक तरफ सरकार ओडीएफ गांव बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है वहीं सरकार के सचिव व प्रधान मिलकर भ्रष्टाचार में डूबे है।

जबकि सरकार दिव्यांग व असहाय गरीब लोगों के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये, वहीं ठीक इसके विपरीत अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव से सांठगांठ कर प्रधान शौंचालय के नाम पर सभी से एक हजार रुपये की मांग कर रहे हैं। साथ ही शौंचालयों के निर्माण में इस तरह की घटिया सामग्री लगाने की बात कह रहे हैं। कि एक तरफ शौंचालय बन रहे तो दूसरी तरफ गिर रहे हैं लेकिन सरकार के इस बड़े अभियान को सफल बनाने वाले अफसरों ने अभी तक मौके पर जाकर जायजा भी लेना उचित नहीं समझा है। अब देखना ये है कि आखिर सरकार की ओडीएफ की ये मंशा किस तरह परवान चढ़ती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो