पूरा मामला विकास खण्ड रसूलाबाद की ग्राम पंचायत मौजमपुर का है, जहां पर एक दिव्यांग महिला को जैसे तैसे शौंचालय की सामग्री तो मिली लेकिन एक हजार रुपये घूँस न दे पाने से उस महिला के दरवाजे से सारी निर्माण सामग्री ही उठवा ली गयी। फिलहाल दिव्यांग महिला शौंच के लिए बाहर जाने को मजबूर है। कई बार कहने के बावजूद वह अभी शौंचालय के लिए तरस रही है। ताज्जुब की बात है कि एक तरफ सरकार ओडीएफ गांव बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है वहीं सरकार के सचिव व प्रधान मिलकर भ्रष्टाचार में डूबे है।
जबकि सरकार दिव्यांग व असहाय गरीब लोगों के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये, वहीं ठीक इसके विपरीत अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव से सांठगांठ कर प्रधान शौंचालय के नाम पर सभी से एक हजार रुपये की मांग कर रहे हैं। साथ ही शौंचालयों के निर्माण में इस तरह की घटिया सामग्री लगाने की बात कह रहे हैं। कि एक तरफ शौंचालय बन रहे तो दूसरी तरफ गिर रहे हैं लेकिन सरकार के इस बड़े अभियान को सफल बनाने वाले अफसरों ने अभी तक मौके पर जाकर जायजा भी लेना उचित नहीं समझा है। अब देखना ये है कि आखिर सरकार की ओडीएफ की ये मंशा किस तरह परवान चढ़ती है।