गीतानगर स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। यहां आए मरीजों का कहना है कि वे रोग का काफी समय से इलाज करा रहे हैं पर जब तक दवा का असर रहता है तभी तक राहत मिलती है, बीमारी पूरी तरह से ठीक नहीं हो रही है। डॉक्टर बदले और दवाइयों में भी बदलाव किया गया, पर हालत में स्थाई सुधार नहीं मिल रहा है।
मरीजों का कहना है कि अंगे्रजी दवा उनकी बीमारी का टिकाऊ इलाज नहीं कर पा रही है और उस पर दवा का जो साइड इफेक्ट होता है उससे परेशानी और बढ़ जाती है, फिर उस साइड इफेक्ट को सही करने के लिए दवा भी बढ़ानी पड़ती है। कई मरीजों ने बताया कि अंग्रेजी दवाई इतनी ज्यादा मात्रा में खानी पड़ती है कि दवा के नाम से भी चिढ़ होने लगती है।
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की ओपीडी में आयी कानपुर देहात की छात्रा प्रगति सिंह ने बताया कि वो दो साल से गुर्दा रोग से पीडि़त हैं और एलोपैथ से इलाज करा रही थीं, पर राहत न मिलने पर अब आयुर्वेदिक इलाज शुरू कराया है। जिससे फायदा मिला है। इसी तरह गठिया रोग से पीडि़त एक महिला ने भी अंग्रेजी दवा से तंग आकर आयुर्वेदिक इलाज शुरू कराया तो उसे राहत मिल रही है।
आयुर्वेदिक इलाज के लिए डायबिटीज, फैटी लीवर, गुर्दा रोग, मोटापा, पेट रोग, हाई कोलेस्ट्राल और ट्राइज्लीसिराइड का अंग्रेजी इलाज कराकर थक चुके लोग इस समय आयुर्वेदिक इलाज करा रहे हैं और उन्हें इसमें फायदा मिल रहा है। आयुर्वेदिक अधिकारी अशोक शुक्ला का कहना है कि आयुर्वेद से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है।