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B.Tech student ने कर दिखाया कमाल, ऐसे पहुंचाएंगे हर घर तुलसी का पौधा

locationकानपुरPublished: Nov 27, 2017 10:20:13 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

जनपद में एक शिक्षण संस्थान से बीटेक पास आउट स्टूडेंट अंकित अग्रवाल ने कमाल कर दिखाया।

B Tech student Make incense from flowers

कानपुर. जनपद में एक शिक्षण संस्थान से बीटेक पास आउट स्टूडेंट अंकित अग्रवाल ने कमाल कर दिया। गंगा के जल में तैरते फूलों से उसने अगरबत्ती बना डाली। स्टूडेंट ने अगरबत्ती की पैकिंग तुलसी के बीज डालकर बनाए गए कागज से की है। अगरबत्ती का पैकेट खत्म होने के बाद इस पैकिंग को गमले में बोने से तुलसी का पौधा निकल आता है। अंकित ने बताया कि चेक रिपब्लिक से आए अपने दोस्त जाकुब ब्लाहा को घुमाने के लिए सरसैया घाट ले गया। यहीं पर मैने मां गंगा के जल पर तैरते फूलों को देखा तो मैने इन्हें उपयोग में लाने का प्रण कर लिया। मैने गंगा घाटों में जाकर फूलों का इकठ्ठा किया और अगरबत्ती बनाने की शुरूआत कर दी और हेल्पस ग्रीन नाम की कंपनी का गठन कर दिया।

मां गंगा के चलते हेल्पस ग्रीन कंपनी का गठन

पुणे रीजनल कॉलेज से बीटेक व सिम्बोयसिस इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट से इनोवेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले अंकित अग्रवाल को देश-विदेश से जॉब के लिए कई कंपनियों ने आफर दिए। लेकिन अंकित नौकरी के बजाय देश, समाज और पर्यावरण के लिए काम करना चाहते थे। इसी के चलते वो जब भी समय मिलता तो गंगा के किनारे आकर उसके प्रदूषण को कम करने के लिए माथा-पच्ची करते। तभी एकदिन उन्हें गंगा पर तैरते फूल दिख गए और उन्होंने तय कर लिया कि अब इन फूलों को काम लायक बनाने के साथ मां गंगा के जल को निर्मल बनाऊंगा। अंकित ने फूलों से अगरबत्ती तैयार की। अंकित का साथ वोरिक बिजनेस स्कूल इंग्लैंड से एमबीए करने वाले करन रस्तोगी का मिला। दोनों ने मिलकर अगरबत्ती के ऐसे 11 उत्पाद बनाए हैं जो चारकोल (लकड़ी का कोयला अथवा काठ कोयला) रहित हैं। ये ब्रांड पूरी तरह से केमिकल रहित हैं।

पर्यावरण के साथ गंगा को भी कर रहे साफ

अंकित ने बताया कि जो अगरबत्ती बाजार में बिकती है उसमें चारकोल शामिल रहता है जो उसके साथ जलकर प्रदूषण फैलता है और यह श्वास नली के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करके उसे नुकसान पहुंचाता है। लेकिन गंगा के जल से निकाले फूलों से तैयार अगरबत्ती पूरी तरह से क्लीन है। अंकित ने बताया कि हमारे पास इस वक्त सौ से ज्यादा लोग हैं जो भोर पहर गंगा के किनारे जाकर रोजाना डेढ़ टन फूलों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें प्लान्ट पर भेजते हैं। हमारी टीमें शहर के परमट व सिद्धनाथ घाट के अलावा पनकी मंदिर, साई मंदिर, भैरो बाबा मंदिर व संकट मोचन मंदिर से फूलों को एकत्रित करती हैं। अंकित कहते हैं कि यक अगरबत्ती अन्य के मुकाबले सस्ती और कई फाएदे पहुंचाती है। अंकित ने बताया, कानपुर के बाद अगले चरण में मथुरा के मंदिरों से फूलों को इकट्ठा करके उत्पाद बनाएंगे।

देश के साथ विदेशों ने भी सराहा

अंकित ने बताया कि फूलों से उत्पाद बनाकर पर्यावरण संरक्षण करने की पर हमारी टीम को अमेरिका की मिलिया, चेक रिपब्लिक के जाकुब ब्लाहा व मारी हार्निके ने सराहा और इसमें बकायदा शामिल भी हैं। अंकित व उनकी टीम ने अगरबत्ती की पैकिंग तुलसी के बीज डालकर बनाए गए कागज से की है। अगरबत्ती का पैकेट खत्म होने के बाद इस पैकिंग को गमले में बोने से तुलसी का पौधा निकल आएगा, जबकि अभी तक जिस पैकेट में अगरबत्ती आती है उसे यूं ही फेंक दिया जाता है। अंकित की टीम का मानना है कि अगरबत्ती के पैकेट के जरिए हम लोगों के घर-घर में तुलसी का पौधा पहुंचाएंगे।

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