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आजाद भारत का सबसे बड़ा इनामी डकैत बना बबुली कोल

locationकानपुरPublished: Sep 15, 2019 05:03:04 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

ददुआ ने सिखया था अपराध का ककहरा, पाठा के जंगलों का बना बेताज बादशाह।

आजाद भारत का सबसे बड़ा इनामी डकैत बना बबुली कोल

आजाद भारत का सबसे बड़ा इनामी डकैत बना बबुली कोल

कानपुर। कहते हैं चंबल, बीहड़ और पाठा के जंगल कभी सुकून की सांस नहीं ले सकते। पुतलीबई से लेकर सीमा परिहार का दंश चंबल की घाटियों ने झेला तो ददुआ, ठोकिया और बलखड़िया के बूटों की आवाज से पाठा के जंगल में दगंल होते रहे। 2007 में सूबे की बागडोर बसपा प्रमुख मायावती के हाथों में आने के बाद पाठा से अधिकतर डकैतों का सफाया हो गया, लेकिन एसटीएफ की गोली से ददुआ का चेला बबुली कोल बच निकला और पिछले एक दशक से इस डकैत की यूपी और एमपी के जंगलों में सल्तनत है। इसके सिर पर 7 लाख का इनाम भी है, जो आजाद भारत में किसी डकैत पर अब तक की सबसे बड़ी राशि है।

कौन है बबुली कोल
बबुली कोल का जन्म चित्रकूट जिले के डोंडा सोसाइटी के गांव कोलान टिकरिया के मजदूर रामचरन के घर में 1979 में हुआ था। वह गांव के ही प्राथमिक स्कूल से क्लास आठ तक की पढ़ाई की। आर्थिक स्थित खराब होने के चलते बबुली ने पढ़ाई छोड़ मजदूरी करना शुरू कर दी। पुलिस ने उसे ठोकिया की मदद के आरोप में गिरफ्तार कर लिया और तमंचा दिखाकर जेल भेज दिया। छह माह जेल के अंदर रहने के दौरान ठोकिया के साथी लाले पटेल से इसकी मुलाकात हो गई। जेल से छूटने के बाद बबुली ने लाले को छुड़ाने के लिए जाल बिछाया। जब पेशी नें लाले आया तो उसे वहां से बबुली कोल उसे फरार करा ले गया और दोनों पाठा के जंगल में कूद गए और ददुआ के गैंग में शामिल हो गए।

ददुआ इन बैक
पाठा के करीब 104 गांवों में में आज जब भी कोई बच्चा रोता है तो उसकी मां कहती है कि बेटा चुप हो जा नहीं तो बबुली कोल आ जाएगा। लोगों की जुबां से यही निकलता है कि भइया पाठा के जंगल में ददुआ इन बैक की वापसी हो गई है। उसके नाम से बकायदा रंगदारी वसूली जाती है। डकैत बबुली कभी डकैत ददुआ का चेला हुआ करता था। ददुआ ने ही उसे जंगल में राज करने और पुलिस से बचने का हुनर सिखाया। ददुआ की मौत के बाद वो दस्यु सरगना बलखड़िया के साथ गैंग बना लिया। एक मुठभेड़ में बलखड़िया के मरने के बाद बबुली कोल गैंग का सरदार बन गया।

मोबाइल-महिला से दूरी
डकैतों पर नजर रखने वाले पत्रकार हरी मिश्रा बताते हैं कि बबुली बहुत शातिर है, मोबाइल का इस्तमाल नहीं करता। बबुली महिलाओं से दूर रहता है और गैंग के सदस्यों को भी साफ हिदायद है कि वह महिलाओं से दूरी बना कर रखें । वह चित्रकूट, बांदा, सतना, भिंड, मुराना के गांवों में अपने मुखबिर रखे हुए हैं। बबुली बकायदा इन्हें हरमाह वेतन भी देता है। इसके मुखबिर बहुत शातिर हैं, जिन पर पुलिस की निगाह नहीं पड़ती। मिश्रा बताते हैं कि चित्रकूट की मानिकपुर विधानसभा क्षेत्र में बबुली कोल के समाज के लोगों की संख्या पचास हजार से भी ज्यादा है। पहले इनका संरक्षण ददुआ को मिला हुआ था। अब बबुली कोल के सिर पर इसी समाज के लोगों का हाथ।

150 से ज्यादा मुकदमे
बबुली कोल ने डोंडा टिकरिया गांव के एक ही परिवार के 5 सदस्यों की पहले नाक काटी और पैर और हाथ पर गोली मारकर घायल कर दिया था। सभी के ऊपर पेट्रोल छिड़कर आग लगा दी थी। पांचों की मौत के बाद बबली ने इनके घरों में आग लगा दी थी। इसी घटना के बाद यूपी सरकार ने बबली पर एक लाख का इनाम रखा था। बबली ने 31 दिसंबर 2012 को पुलिस के मुखबिर होने के शक के चलते खमरिया के जंगल में 2 लोगो की हत्या कर दी थी। मानिकपुर जिले के निहि गांव में 31 की रात राजू पाल की हत्या की थी। बबुली के खिलाफ करीब 150 से ज्यादा मामले यूपी और एमपी नें दर्ज हैं।

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