आज भी है किसी रहबर की तलाश आज भी इस गांव के हालात ऐसे ही है जैसे सत्तर के दशक में थे। ग्रामीणों के अनुसार 14 फरवरी के हत्याकांड के बाद से इस गांव में तमाम नेता अधिकारी आए और वायदे भी किए, लेकिन इस गांव का विकास नहीं हो सका। गांव के विकास की बात करें तो न इस गांव को जाने के लिए सड़कें है और न ही पढ़ने के लिए स्कूल है। गांव में कोई अस्पताल नही है। इस गांव के हालात उस समय और भी बदतर हो जाते हैं। जब यमुना नदी में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ आ जाने से किसानों की फसलें तो बर्बाद होती ही है, साथ ही गांव के लोगों को शहर जाने के लिए 35 किमी का रास्ता तय करना पड़ता है। बताया कि बेहमई गांव के पुल का निर्माण कराने के लिए बसपा सरकार ने कोशिश की और पुल का निर्माण शुरू भी हुआ, लेकिन सरकार जाने के बाद वह पुल आज भी अधूरा है।
सीएम योगी ने मंच से की थी ये घोषणा ग्रामीणों ने बताया कि बीजेपी सरकार में हुए सिकन्दरा विधानसभा में उपचुनाव के लिए जब राजपुर कस्बे में मुख्यमंत्री अपने प्रत्याशी अजीत पाल को सिकन्दरा विधानसभा से जीतने के लिए जनसभा कर रहे थे। तभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच पर घोषणा की थी कि बेहमई गांव का पुल अजीत पाल के जीतने के बाद जरूर बनेगा। लेकिन जीतने के बाद आज तक अजीत पाल गांव में ही नही गये, लेेकिन इतना जरूर है। जब मुख्यमंत्री जी ने बेहमई पुल के निर्माण की बात मंच पर कही थी तो अब शायद गांव के लोगो को उम्मीद है कि गांव का विकास जरूर होगा। फिलहाल बीहड़ के साये में बसे इस गांव का विकास न होने की वजह से लोग आज भी आदिवासी की तरह ही जीवन यापन कर रहे हैं।