शरीर पर हुआ कोई घाव जब इंफेक्शन की चपेट में आ जाता है तो उसे भरने में मुश्किल आती है। यह बात यूपीटीटीआई में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में आए प्रो. गुप्ता ने कही। उन्होंने बताया कि इंफेक्शन के कारण शरीर में घाव जल्दी भरता नहीं है और जब ठीक होता है तो घाव अपना निशान (स्पॉट) छोड़ जाता है। इसको देखते हुए करीब छह साल पहले शोध शुरू किया था। मेडिकल कॉलेज गंगटोक और फ्रांस यूनिवर्सिटी का साथ भी मिला। अब इसमें सफलता मिली है। इसे प्राकृतिक रूप से मिलने वाली चीजों से तैयार किया गया है।
अपने इस शोध के सफल प्रयोग की जानकारी देते हुए प्रो. गुप्ता ने बताया कि इसका पहला ट्रायल चूहे और भेड़ पर किया गया है। इसमें एक बाई एक सेमी के घाव पर बैंडेज लगाया गया। यह चार-पांच दिन में ठीक हो गया। उन्होंने बताया कि हालांकि यह बैंडेज आम आदमी तक पहुंचने में अभी दो साल से अधिक का समय लगेगा।
प्रो. भुवनेश गुप्ता ने बताया कि एक हीमोस्टेटिक ड्रेसिंग तैयार कर रहे हैं। इसमें टीशू की तरह एक विशेष फैब्रिक का रोल रहेगा। जब कोई जवान घायल होगा तो वह तुरंत उस फैब्रिक को निकाल कर घाव में अंदर तक भर देगा। इससे तुरंत ब्लीडिंग रुक जाएगी। घाव इंफेक्शन से सुरक्षित रहेगा। फिर जवान अस्पताल में जाकर इलाज करा सकेगा।
सीमा पर तैनात अधिकतर जवानों की जान सिर्फ इसलिए चली जाती है, क्योंकि अस्पताल तक लाने में उनका अधिक खून निकल जाता है। प्रो. भुवनेश गुप्ता ने बताया कि समय पर ब्लीडिंग और इंफेक्शन को रोक दिया जाए तो जान बच सकती है। पिछले एक वर्ष से इस पर शोध कर रहे हैं। लैब में पूरी सफलता मिल गई है।
प्रो. भुवनेश गुप्ता ने बताया कि इसका परीक्षण आईआईटी दिल्ली, गंगटोक मेडिकल कॉलेज और फ्रांस यूनिवर्सिटी की अत्याधुनिक लैब में किया जा चुका है। इससे घाव पूरी तरह ठीक होने में अधिकतम तीन सप्ताह का समय लगेगा। हालांकि, तीन दिन के अंतराल पर बैंडेज बदलना होगा।