डॉक्टर्स के मुताबिक तीन तरह के वायरल फीवर का सबसे ज्यादा असर है. इन्हीं के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक बारिश रुकने के बाद बीमारियां और तेजी से बढ़ेंगी.
डॉक्टर्स के मुताबिक अक्सर वारयल फीवर में कुछ नए तरह के लक्षणों की बात होती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. बुखार में कोई नया पैटर्न नहीं आया है,लेकिन सेल्फ मेडीकेशन और झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज ने सामान्य तरीके से सही होने वाले बुखार को और मुश्किल बना दिया है.
डेंगू से लेकर तमाम तरह के वायरल फीवर के लिए पैरासीटामोल ही सबसे अच्छी दवा है. तेज बुखार व बदन दर्द होने पर इस दवा के परिणाम सबसे अच्छे होते हैं. साथ ही शरीर को नार्मल पानी से पोछना व थोड़े ठंडे माहौल में रहने से फायदा होता है. निम्यूस्लाइड, आइबूप्रोफेन, मेटानिमिक एसिड जैसी दवाओं के प्रयोग से बचना चाहिए. यही दवाएं नार्मल बुखार के मामलों को कॉप्लीकेटेड कर देती हैं.
बुखार किस तरह का है इसकी पुष्टि करने के लिए कुछ दिनों का समय लगता है. पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी में बुखार कौन सा है इसकी जांच की सुविधाएं हैं. किसी मरीज को डेंगू है इसकी पुष्टि उसे 7 दिन लगातार बुखार होने के बाद होने वाली जांच से होती है. हालांकि डॉक्टर्स रैपिड कार्ड एनएस टेस्ट से डेंगू का इलाज शुरू कर देते हें. ऐसे ही टायफाइट के लिए विडाल टेस्ट के सही नतीजे भी इतने दिनों में ही मिलते हैं.डेंगू में प्लेटलेट्स काउंट 15 हजार से कम या फिर ब्लीडिंग होने पर ही खतरनाक माना जाता है.