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सावधान : बुखार, टायफाइड और डेंगू की चपेट में कानुपराइट्स

locationकानपुरPublished: Sep 05, 2018 01:37:36 pm

बारिश का सीजन खत्म होने को है और बीमारियों का सीजन शुरू हो चुका है. कानुपराइट्स पर बुखार ने ट्रिपल अटैक किया है. इसके अलावा डायरिया व गैस्ट्रेंटाइटिस ने पहले ही कानपुराइट्स को परेशान कर रखा है.

Kanpur

सावधान : बुखार, टायफाइड और डेंगू की चपेट में कानुपराइट्स

कानपुर। बारिश का सीजन खत्म होने को है और बीमारियों का सीजन शुरू हो चुका है. कानुपराइट्स पर बुखार ने ट्रिपल अटैक किया है. इसके अलावा डायरिया व गैस्ट्रेंटाइटिस ने पहले ही कानपुराइट्स को परेशान कर रखा है. हालात यह है कि शहर के बड़े सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों के मेडिसिन वार्डों में मरीजों के लिए जगह नहीं बची है. क्‍या हैं हालात, आइए देखें.
ऐसा मानना है डॉक्‍टर्स का
डॉक्टर्स के मुताबिक तीन तरह के वायरल फीवर का सबसे ज्यादा असर है. इन्हीं के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक बारिश रुकने के बाद बीमारियां और तेजी से बढ़ेंगी.
तीन तरह के बढ़ रहे हैं वायरल

तेज बुखार : इसमें मरीज को 100 डिग्री से ऊपर बुखार आता है. साथ ही तेज बदन दर्द होता है इसका असर तीन से पांच दिन तक रहता है. जोड़ों में दर्द के साथ कई बार शरीर में लाल दाने पड़ जाते हैं, लेकिन यह चिकुनगुनिया नहीं है.
सर्दी जुखाम के साथ बुखार : इसमें बुखार कम आता है,लेकिन मरीज को तेज सर्दी लगती है साथ ही जुखाम के साथ सिरदर्द व खांसी भी होती है. इसका असर भी 5 दिन से एक हफ्ते रहता है.
डेंगू : इसकी शुरुआत सामान्‍य बुखार से होती है. कुछ दिनों में तेज बुखार के साथ पेट दर्द, उल्टी के साथ शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं.

कोई नए तरह के लक्षण नहीं हैं
डॉक्टर्स के मुताबिक अक्सर वारयल फीवर में कुछ नए तरह के लक्षणों की बात होती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. बुखार में कोई नया पैटर्न नहीं आया है,लेकिन सेल्फ मेडीकेशन और झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज ने सामान्य तरीके से सही होने वाले बुखार को और मुश्‍किल बना दिया है.
सबसे अच्‍छी दवा है ये
डेंगू से लेकर तमाम तरह के वायरल फीवर के लिए पैरासीटामोल ही सबसे अच्छी दवा है. तेज बुखार व बदन दर्द होने पर इस दवा के परिणाम सबसे अच्छे होते हैं. साथ ही शरीर को नार्मल पानी से पोछना व थोड़े ठंडे माहौल में रहने से फायदा होता है. निम्यूस्लाइड, आइबूप्रोफेन, मेटानिमिक एसिड जैसी दवाओं के प्रयोग से बचना चाहिए. यही दवाएं नार्मल बुखार के मामलों को कॉप्लीकेटेड कर देती हैं.
समझना होगा इसको भी
बुखार किस तरह का है इसकी पुष्टि करने के लिए कुछ दिनों का समय लगता है. पैथोलॉजी व माइक्रोबायोलॉजी में बुखार कौन सा है इसकी जांच की सुविधाएं हैं. किसी मरीज को डेंगू है इसकी पुष्टि उसे 7 दिन लगातार बुखार होने के बाद होने वाली जांच से होती है. हालांकि डॉक्टर्स रैपिड कार्ड एनएस टेस्ट से डेंगू का इलाज शुरू कर देते हें. ऐसे ही टायफाइट के लिए विडाल टेस्ट के सही नतीजे भी इतने दिनों में ही मिलते हैं.डेंगू में प्लेटलेट्स काउंट 15 हजार से कम या फिर ब्लीडिंग होने पर ही खतरनाक माना जाता है.
ये हैं बचाव के तरीके :

– साफ सफाई का विशेष ध्यान दें, हाथ की हाईजीन पर जोर दें

– पीने में साफ पानी का प्रयोग करें बाहर पानी पीने से बचे
– घर का ताजा खाना खाएं, बाहर के खान-पान से बचे

– मच्छरों से बचाव के लिए घर या आसपास पानी एकत्र न होने दें

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