कानपुर

सस्ते में कार खरीदने के चक्कर में दर्जनों हुए ठगी का शिकार

ई-कामर्स साइट पर विज्ञापन देखकर फंसे झांसे मेंसेना के फर्जी अफसर बनकर कई लोगों को ठगा

कानपुरApr 15, 2019 / 02:34 pm

आलोक पाण्डेय

सस्ते में कार खरीदने के चक्कर में दर्जनों हुए ठगी का शिकार

कानपुर। ठगों ने अब सेना के नाम का सहारा लेना शुरू कर दिया है। कई ठग खुद को सेना का अफसर बताकर अपना दांव खेल रहे हैं। ये लोग ट्रांसफर की बात कहकर अपनी गाड़ी कम दाम पर बेचने का झांसा देकर लोगों को लूट रहे हैं। इनके चक्कर में फंसकर कई लोग करोड़ो रुपया गंवा चुके हैं। इस मामले में पुलिस भी लोगों की मदद नहीं कर पा रही है, पुलिस का कहना है कि लोगों को खुद ही सतर्क रहना पड़ेगा।
ई-कामर्स साइट पर देते विज्ञापन
ये लोग ई-कामर्स साइट पर कम बिक्री रेट का विज्ञापन डालकर लोगों को फंसाते हैं। रेलबाजार निवासी बी फार्मा स्टूडेंट अनुराग मिश्रा ने बताया कि ओएलएक्स पर 1.20 लाख रुपए में कार बिक्री के लिए देखी थी। बात की तो पता चला कि सेना में अधिकारी तरुण सलूजा की गाड़ी है। ट्रांसफर होने के कारण बेच रहे हैं। बात करने वाले ने कहा कि 10 हजार रुपए भेज दीजिए, गाड़ी बुक हो जाएगी। आईडी कार्ड समेत अन्य साक्ष्य भेजे। फिर 40 हजार और मंगा लिया। जब शक होने पर भुगतान करने से मना किया तो ठग ने मोबाइल नंबर बंद कर दिया।
छह दर्जन मामले आए सामने
साइबर सेल में अब तक 75 से अधिक मामले पहुंच चुके हैं। अलग-अलग थानों में करीब 24 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। हकीकत में यह आंकड़ा 250 से भी अधिक है। ठगी के बाद लोग एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने-चौकी के चक्कर काट रहे हैं। साइबर सेल ने इस संबंध में अलर्ट भी जारी कर दिया है।
पेटीएम खाते में जमा कराते रकम
अब तक जितने भी लोगों से ठगी हुई है उन सभी से पेटीएम खाते में रुपए जमा कराए गए हैं। ठगों ने रुपए जमा करने के बाद पूरी रकम तुरंत निकाल ली। इसके चलते साइबर सेल ठगी की रकम भी वापस नहीं करा पा रही है। हालांकि पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि ठगों को ट्रेस करने के लिए साइबर सेल के साथ अलग से टीम को भी लगाया गया है।
राजस्थान का है गैंग
साइबर सेल के एक्सपर्ट ने बताया कि यह गैंग कानपुर ही नहीं यूपी के हजारों लोगों को आधी से भी कम कीमत पर कार बेचने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी कर चुका है। जांच में सामने आया है कि राजस्थान के अलवर का गैंग है। फोन के जितने भी नंबर प्रयोग किए गए हैं सभी अलवर के हैं और आखिरी बार अलवर में ही सक्रिय थे।
 
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