प्रदेश की इस वीआईपी सीट पर हुई कांटे की टक्कर मतगणना के प्रत्येक राउंड में कांटे की टक्कर में दिन भर चली उठापटक के चलते प्रत्याशियों के समर्थकों के चेहरे से पसीना नहीं सूखा। देर रात अंतिम चरण में मतगणना पहुंचने पर 12353 मतों से जीत सुनिश्चित हो सकी। वहीं डिम्पल यादव को हार का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि विगत वर्ष भाजपा की चली आंधी में कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके तहत बसपा से रसूलाबाद विधानसभा से 2017 में चुनाव हारी पूनम संखवार ने भाजपा का दामन थाम लिया था। बीते दिन सुब्रत पाठक की जीत के बाद उन्होंने रसूलाबाद कस्बा स्थित विख्यात शिव मंदिर धर्मगढ़ मंदिर में मत्था टेकते हुए मतदाताओं को कोटि कोटि बधाई दी।
बोलीं पार्टी के निर्णय पर हम लोग करते हैं काम पूँछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह जीत सुब्रत पाठक की नहीं बल्कि क्षेत्र के मतदाताओं की जीत है, जिन्होंने दिन रांत मेहनत की है, जनता ने हमारे प्रधानमंत्री जी के कार्यों पर विश्वास किया है। वादे तो बहुत किये जाते हैं कि 72000 देंगे लेकिन असलियत में दिया तो प्रधानमंत्री जी ने बिना कहे पहले ही जनता को शौंचालय, कालोनी, किसान पेंशन सहित अन्य लाभ दे दिए। इस जनता की दम पर हम लोगों ने इस सीट को, जो वंशवादी सपा के खाते में जाती थी, उसे छीनकर प्रधानमंत्री जी की झोली में डाला है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव 2022 में उतरने की बात पर उन्होंने कहा कि ये हमारा कोई निर्णय नही है, जो हमारी पार्टी हाईकमान प्रधानमंत्री जी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्णय लेते हैं, वही यहां होता है।