बिना सीट के शौचायल बने शोपीस गांव में करीब तीस फीसदी शौचालयों का निर्माण कार्य दो माह पहले हो गया था, लेकिन इनमें से अधितकर में सीटें नहीं रखवाई गई। जिसके चलते ये सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं। गांव की रजन्ना बताती है कि हमें घर से आधा किमी की दूरी पर खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। हमने ग्राम प्रधान से कईबार शौचालय बनवाने के लिए कहा, सीडीओ सये मिली, पर कहीं सुनवाई नहीं हुई। रज्नना देवी की सास जिनकी उम्र 70 से अधिक है, उनका कहना था कि बबुआ बड़े साहब एकबार आए थे। हमने उनसे शौचायल के लिए कहा था। उन्होंने आश्वासन दिया था, लेकिन शौचालय हमें नहीं मिला। भोर पहर अपनी नातिन के साथ खेत में जाना पड़ रहा है। गांव की बुजुर्ग महिला बविता देवी ने भी शौचायल बनने के बाद उसमें सीट नहीं रखवाए जाने की बात कही। वो भी खुले में शौच को विवश हैं।
बजबजा रहीं नालियां, गावं की सरहद में जलभराव सांसद के गोद लिए गांव में कदम रखते ही जलभराव और कूड़े-कचरे से आमजन को रूबरू होना पड़ता है। गांव के बीडीसी सदस्य ने बताया कि दो साल पहले सांसद जी गांव आए थे और सड़क पर उनकी कार रूकी ।हम सब दौड़कर उन्हें गांव के अंदर आने को कहा, लेकिन वो गाड़ी से नहीं उतरे। हमने उन्हें जलभराव व नालियों के निर्माण की बात कही, जिस पर उन्होंने जल्द समस्या का निराकरण का भरोसा दिया था। लेकिन न जाने कितने दिन गुजर गए, पर समस्या ज्यों का त्यों मुहंबाए खड़ी है। राजू कहते हैं कि ग्राम प्रधान व बिठूर के विधाकय अभिजीत सिंह सांगा ने बड़े समाज के लोगों की गलियों में नालियां व शौचायल बनावा दिए, लेकिन दलित व अन्य लोगों के साथ भेदभाव किया।
नहीं मिले सिलेंडर, चूल्हे में खाना पका रहे भोजन प्रधानमंत्री ने गरीब परिवारों को रसोई गैस के साथ चूल्हा पूरे देश में बांटा, लेकिन सांसद के गोद लिए गांव सिंहपुर में गरीबों को इस योजना का लाभ नहीं मिला। पांच सौ से ज्यादा गरीब परिवार चूल्हे में खाना बनाने को मजबूर हैं। अंजली देवी जिनका घर गांव के बाहर बना है ने बताया कि हमने प्रधानमंत्री की इस योजना के तहत रसोई गैग कनेक्शन के लिए प्रधान व सचिव से कहा, लेकिन उन्होंने हमें नहीं दिया। गांव में बड़े लोगों के घरों में एक नहीं, चार-चार रसोई गैस दिए गए। वहीं अजय कठेरिया कहते हैं कि सरकार की कोई भी योजना का लाभ हम गरीब तबके के लोगों को नहीं मिलता। अधिकारियों से शिकायत करो, या फरियाद लगाओ, लेकिन उनके दिल में हमारे लिए कोई जगह नहीं है।
सप्ताह में दो दिन खुलता है समुदायिक केंद्र सिंहपुर कछार के साथ ही आसपास के गांव के लोगों को इलाज मिले उसके लिए सरकार ने यहां पर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुलवाया है, लेकिन बुधवार को जब पत्रिका टीम मौके पर पहुंची तो वहां पर ताला लटक रहा था। इलाज के लिए आए लोगों ने बताया कि ये अस्पताल सप्ताह में सिर्फ दो दिन खुलता है। यहां डॉक्टर की जगह पोलियो पिलाने वाली महिलाएं इलाज करती हैं। छात्रा ने बताया कि मौसमी बीमारियों का सीजन चल रहा है और हररोज दर्जनों लोग इलाज के लिए यहां आते हैं, लेकिन ताला बंद होने के चलते शहर जाकर इलाज करवाने को विवश होते हैं। वहीं गांव इसी गांव के स्कूल की निरीक्षण करने के लिए पहुंचे सीडीओ अरूण कुमार से जब बदहाल गांव के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि हां कुछ जगह शौचायल नहीं बने। वहीं सफाईकर्मियों के चलते गंदगी गांवों में मिल रही है। इसी के कारण निरीक्षण किया जा रहा है और दोषियों पर कार्रवाई भी की जा रही है।