कानपुर

गठबंधन के बागियों को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने चला दांव

बसपा-सपा छोड़कर आए नेताओं को दी जा रही तरजीहअपने प्रत्याशियों की जगह दूसरे दलों से आए लोगों को दिया टिकट

कानपुरMar 23, 2019 / 09:48 am

आलोक पाण्डेय

गठबंधन के बागियों को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने चला दांव

कानपुर। भाजपा ने गठबंधन को मात देने के लिए उन्हीं के नेताओं को आगे कर दिया है। सपा और बसपा छोड़कर आए नेताओं को ही भाजपा ने प्रत्याशी बना दिया। इसके लिए पार्टी ने अपने पुराने दावेदारों को भी किनारे कर दिया, जो उस सीट पर पिछले चुनाव में जीत दर्ज करा चुके थे। भाजपा की यह नीति गठबंधन के लिए परेशानी बन रही है।
अंजूबाला के बदले अशोक रावत
२०१४ के लोकसभा चुनाव में मिश्रिख लोकसभा सीट पर भाजपा की अंजूबाला ने जीत दर्ज कराई थी, यह बात अलग है कि उनकी जीत का श्रेय मोदी लहर को दिया जाता रहा। इस बार उनकी टिकट काटकर बसपा से आए अशोक रावत को प्रत्याशी बनाया गया है। अशोक रावत को ही अंजूबाला ने हराकर इस सीट पर भाजपा को जीत दिलाई थी, अब अशोक को मौका देकर भाजपा बसपा का गणित बिगाडऩे की कोशिश में है, क्योंकि अशोक की अनुसूचित जाति के वोटों पर अच्छी पकड़ है।
अंशुल वर्मा की जगह जयप्रकाश रावत
हरदोई सीट पर २०१४ में जीते अंशुल वर्मा की जगह इस बार सपा से आए जयप्रकाश रावत को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। जयप्रकाश मिश्रिख सीट से सपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे। हरदोई में पिछड़े वोटों को जोडऩे के लिए जयप्रकाश को मैदान में उतारा है। कहा जा रहा है कि अभी कई अन्य सीटों पर भी भाजपा यही दांव चलकर गठबंधन की गांठ ढीली करने की कोशिश में है।
नरेश अग्रवाल की भूमिका
चर्चा यह भी है कि गठबंधन को कमजोर करने के लिए और बागियों को अपनी ओर खीचने के लिए नरेश अग्रवाल ने यह उलटफेर करवाया है। सपा छोड़कर भाजपा में आए नरेश अग्रवाल अब गठबंधन के प्रत्याशियों को मात देने के लिए समीकरण बिठा रहे हैं। उनकी यह कोशिश गठबंधन में भी हलचल पैदा कर रही है।

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