हृदय की स्थिति जानने के लिए अब केवल खून की जांच से ही पूरी जानकारी मिल जाएगी। इस जांच को बीएनपी जांच कहा जाता है। बी टाइप नेट्रीयूरेक्टिक पेप्टाइड यानी बीएनपी जांच की सुविधा अभी तक संस्थान में उपलब्ध नहीं थी। मरीज को हार्ट या धमनियों में ब्लॉकेज है? ब्लॉकेज काफी पुराना है या 24 घंटे पहले का है? हार्ट फेल्योर की रफ्तार क्या है इसका पता नहीं चल पाता था।
अभी तक अटैक की आशंका का पता लगाने के लिए ईसीजी के अलावा खून में कार्डियक ट्रोपोनिन की जांच की जाती है। ट्रोपोनिन का स्तर कम होने पर दिल के दौरे की संभावना कम मानी जाती है लेकिन शोध बताते हैं कि यह तरीका सटीक नहीं है। कार्डियोलॉजी में खून के थक्के जमने की नई तरह से जांच शुरू होगी। डी- टाइमर जांच से खून के जमाव का स्तर उपलब्ध हो जाएगा। थायइराड की जांच भी संभव होगी। ये सभी जांचें किट नहीं बल्कि हाईटेक मशीनों से की जाएंगी। इससे संक्रमण के स्तर का जल्द पता चलेगा।
जब दिल की धमनियों और मांसपेशियों में कमजोरी आती है तो हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए सिगरेट, गुटखा व शराब का सेवन भी जिम्मेदार माना गया है। बताया गया है कि बढ़ती उम्र संग दिल की धमनियों से खून को पंप करने की क्षमता घटती है और 50 वर्ष की आयु के बाद दिल की धमनियां कमजोर होने पर दिक्कत ज्यादा होने लगती है।